नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दिल्ली में कोरोना संक्रमण के संकट के गहराने की मुख्य वजह जरूरत के हिसाब से टेस्टिंग नहीं बढ़ना है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि सितंबर में दिल्ली में प्रतिदिन 50-57 हजार टेस्ट हो रहे थे और आज भी इतने ही टेस्ट हो रहे हैं। जबकि त्योहारों और अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान इसमें बढ़ोतरी जरूरी थी। उनके अनुसार गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक दिल्ली में अगले कुछ दिनों में प्रतिदिन 1.2 लाख टेस्ट होने लगेंगे।
दिल्ली में हालात खराब होने की वजह बताते हुए राजेश भूषण ने कहा दिल्ली में जून के मध्य तक संक्रमण तेजी से बढ़ रहा था। लेकिन उस समय भी अमित शाह के साथ बैठक के बाद दिल्ली में टेस्टिंग को तेज किया गया और उसका परिणाम भी सामने आया। लेकिन इसका असर अगस्त तक रहा। सितंबर में आकर टेस्टिंग की संख्या स्थिर हो गई, जबकि कोरोना के मामले लगातार बढ़ते गए।नीति आयोग के सदस्य डाक्टर वीके पॉल के अनुसार टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने के साथ ही दिल्ली में आरटी-पीसीआर और एंटीजन टेस्ट के अनुपात को भी ठीक करने की जरूरत है। फिलहाल एंटीजन की तुलना में आरटी-पीसीआर टेस्ट बहुत कम हो रहे थे। इस क्रम में आइसीएमआर और भारत सरकार के लैब 10 हजार अतिरिक्त आरटी-पीसीआर टेस्ट उपलब्ध कराएगा। वहीं विभिन्न रिसर्च लैब को कोविड टेस्ट के लिए खोल दिया गया है। सबसे बड़ी बात है कि कंटेनमेंट एरिया में टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाने के लिए 10 मोबाइल लैब का उतारा जा रहा है। डाक्टर पॉल ने कहा कि इनमें पांच मोबाइल लैब एक-दो दिन में आ जाएंगे।
दिल्ली में आइसीयू बेड की संख्या दोगुनी की जा रही
डाक्टर वीके पॉल के अनुसार 15 नवंबर को अमित शाह के साथ बैठक में लिए गए फैसले पर तेजी से काम हो रहा है और दिल्ली सरकार इसमें पूरा सहयोग भी कर रही है। इसके तहत दिल्ली में आइसीयू बेड की संख्या दोगुनी की जा रही है। फिलहाल दिल्ली में कुल 3523 आइसीयू बेड थे, अगले तीन-चार दिन के अंदर इसकी संख्या 6000 से अधिक हो जाएगी। डीआरडीओ 1000 बेड के कोबिड सेंटर में 537 नए आइसीयू बेड तैयार किये गए हैं। इसी तरह आइटीबीपी के छतरपुर स्थित राधास्वामी कोबिड सेंटर में भी आइसीयू बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है।