भोपाल,केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना को लेकर मध्य प्रदेश ने अपनी स्थिति एक बार फिर साफ कर दी है। राज्य सरकार रबी सीजन के लिए उत्तर प्रदेश को 700 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) से अधिक पानी नहीं देगी। शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परियोजना की समीक्षा की और इसी दौरान ही केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से फोन पर बात करके प्रदेश की स्थिति स्पष्ट कर दी।
परियोजना से पानी के बंटवारे को लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच विवाद लंबे समय से बना हुआ है। उत्तर प्रदेश की मांग 930 एमसीएम पानी के विपरीत मध्य प्रदेश वर्ष 2005 में हुए अनुबंध की शर्तो के तहत 700 एमसीएम पानी ही देना चाहता है। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने फोन पर केंद्रीय मंत्री को यह भरोसा भी दिलाया है कि पानी के बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों का शीर्ष नेतृत्व बैठक कर आपसी सहमति से हल निकालेगा और जल्दी ही परियोजना का काम शुरू किया जाएगा।
गौरतलब है कि परियोजना से पानी के बंटवारे को लेकर 15 साल से दोनों राज्यों के बीच विवाद चल रहा है। इसे सुलझाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय भी दो बार मध्यस्थता कर चुका है और अब विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी शेखावत को सौंपी गई है। सितंबर 2020 में दिल्ली में हुई दोनों राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों और अधिकारियों की बैठक में शेखावत ने परियोजना में देरी पर नाराजगी जताई थी।
ऐसे बढ़ी पानी की मांग वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश को रबी फसल के लिए 547 एमसीएम और खरीफ फसल के लिए 1153 एमसीएम पानी देना तय हुआ था। अप्रैल 2018 में उत्तर प्रदेश की मांग पर रबी फसल के लिए 700 एमसीएम पानी आवंटन पर सहमति बनी। वहीं, केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश को 788 एमसीएम पानी देना तय किया। इसके बाद भी जुलाई 2019 में उत्तर प्रदेश ने 930 एमसीएम पानी मांग लिया। इतना पानी देने के लिए मध्य प्रदेश तैयार नहीं है।