पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई का जन्म दिवस सुशासन दिवस के रूप में धूम धाम से मनाया गया।
जहानाबाद(फतेहपुर)आज कैलाश मंदिर के मिलन केन्द्र मे अटलजी का जन्म दिवस पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर दीप जलाकर शुभारंभ किया।बैठक की अध्यक्षता जिला उपाध्यक्ष बैजनाथ बर्मा ने करते हुए उनके व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अटल जी का जन्म दिवस देश मे सुशासन के रूप में मनाया जाता है वैसे भागवत गीता में सुशासन नेतृत्व कर्तव्य बोध आदि अटल जी ने अपनी नीतियों और नेतृत्व से घोषित किया। उन्होंने संपूर्ण जीवन लोगों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया अटल जी का दृढ़ विश्वास था कि राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले अपने नागरिकों को सशक्त बनाना जरूरी है इस सम्बंध उन्होंने भारत मे शिक्षा परिदृश्य को विकसित करने के लिए अपने प्रयासों को मूर्त रूप उन्होंने दिया। बैठक को संबोधित करते हुए पूर्व मंडल अध्यक्ष राजेश बाजपेयी ने कहा की अटल जी एक कवि भी थे उनकी यह पक्तियों को साकार करते हुए लोगों के मन मे गूजती है कि 'मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं/ लौट कर आऊंगा, कुच से क्यों डरूं?'।'बाधाएं आए तो आए घिरे प्रलय की घोर घटाएं, पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसे यदि ज्वालाएं,। निज हाथों में हंसते- हंसते आग लगाकर जलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। इस कार्यक्रम के दौरान रामकरण,राम सहारे गुप्ता रामचंद्र सोनकर सभासद महेश कुमार चौरसिया सतीश चंद गुप्ता नवरत्न सोनकर गीता गुप्ता सरोज निषाद राम सजीवन अशोक कुमार आदि लोग उपस्थित रहे।