कोरोना काल में अपने माता पिता को खोने वाली भोपाल की वनिशा पाठक ने अर्जित किए 99.80% अंक।

 कोरोना काल में अपने माता पिता को खोने वाली भोपाल की वनिशा पाठक ने अर्जित किए 99.80% अंक।



भोपाल. कोरोना वायरस (Coronavirus) की महामारी में अपने माता-पिता को गंवाने वाली वनिशा पाठक (Vanisha Pathak) ने सीबीएसई के 10वीं के रिजल्‍ट (CBSE 10th Result) में 99.8 फीसदी अंक हासिल किए हैं. यही नहीं, वनिशा ने भोपाल शहर के अन्‍य दो बच्‍चों के साथ टॉपर का टैग हासिल किया है. जबकि कोरोना से माता-पिता की मौत के बाद जुझारू वनिशा ने एक कविता में लिखा था, ' मैं एक मजबूत लड़की बनूंगी डैडी, तुम्हारे बिना.' यकीनन उसकी आंखों में आंसूओं के स्थान पर दृढ़ इरादे थे. जबकि सीबीएसई के रिजल्‍ट में उसकी पोजिशन इस बात को पक्‍का कर रही है.


बहरहाल, कार्मेल कॉन्वेंट (भेल) की 16 वर्षीय छात्रा वनिशा उस समय सदमे और पीड़ा से जूझ रही थी, जब उसके सहपाठी परीक्षा की तैयारी कर थे।

वनिशा पाठक ने टाइम्‍स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, 'मैंने एक हफ्ते के भीतर पापा और मां को खो दिया. मेरे सामने अंधेरा था और मुझे लगा कि मैंने अपने जीवन में सब कुछ खो दिया है. इसके साथ उसने कहा कि जब मैंने छोटे भाई को देख तो मुझे अहसास हुआ कि 16 साल की उम्र में मुझे इसके लिए माता-पिता की जिम्‍मेदारी उठानी होगी. मुझे मजबूत रहने के साथ अपने जीवन और पढ़ाई फोकस करना होगा.


पिता का था ये सपना

वनिशा ने कहा कि मेरे पिता चाहते थे, मैं आईआईटी या फिर यूपीएससी क्रेक करके देश की सेवा करूं. अब पापा का सपना ही मेरा सपना है. बता दें कि वन‍िशा ने 10वीं में इंग्लिश, संस्‍कृत, साइंस और सोशल साइंस में परफेक्‍ट 100 का स्‍कोर किया है, तो मैथ में 97 फीसदी अंक हासिल किए हैं. वहीं, इस 16 साल की जुझारू लड़की के पिता जितेद्र कुमार एक कंपनी में फाइनेंशियल एडवाइजर थे. जबकि मां डॉक्‍टर सीमा पाठक पेश से सरकारी स्‍कूल टीचर थीं.


वो फिर लौटकर नहीं आए.

वनिशा ने कहा कि उसने अपने माता और पिता को आखिरी बार अस्‍पताल जाते हुए देखा. उस वक्‍त उन्‍होंने कहा था कि जल्‍दी मिलेंगे, लेकिन वो कभी नहीं आए. इसके साथ उसने कहा कि मेरी मां से 2 मई को बात हुई थी, लेकिन उनकी 4 मई को मौत हो गई. जबकि पापा से 10 मई को बात हुई थी और वह 15 मई को हमें छोड़कर चले गए. इसके बाद मेरे रिश्‍तेदारों ने बताया कि दोनों की कोरोना की वजह से मौत हो चुकी है. यही नहीं, मैं अपनी मां का चेहरा भी अंतिम बार नहीं देख सकी. इसके साथ वनिशा ने कहा कि उन्‍हें अपने चाचा विवान से इस मुसीबत में साथ मिला, लेकिन उसने कभी हिम्‍मत नहीं हारी. जबकि छोटे भाई की वजह से उसे बहुत प्रेरणा मिली है. हालांकि इस वक्‍त वनिशा और उसका छोटा भाई भोपाल के सरकारी एमवीएम कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्‍टर अशोक कुमार के साथ रह रहा है. वहीं, वनिशा का मकसद अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करना है.


बता दें कि इस बार सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) की 10वीं की परीक्षा में देशभर से करीब 21 लाख छात्र शामिल हुए थे. इसमें से 99.04 फीसदी सफल रहे हैं. जबकि इस बार मध्‍य प्रदेश के छात्रों का सफलता प्रतिशत 99.47 रहा है. मध्य प्रदेश से 10वीं में एक लाख से ज्यादा छात्र शामिल हुए थे।

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