"नारी"
मैं पूर्ण हूँ , परिपूर्ण हूँ,
पहचान हूँ ,ख़ुद की शान हूँ l
मैं सृजन का आधार हूँ,
भौतिकता के आर-पार हूँ l
संसार का आकार हूँ,
रूप कविता साकार हूँ l
मैं मान और समान हूँ,
ख़ुद का अभिमान हूँ l
मैं पूर्ण हूँ, परिपूर्ण हूँ,
पहचान हूँ, ख़ुद की शान हूँ l
मैंने तुमको हक दिया नहीं,
कि तुम मुझ पर आक्षेप करोl
बिन जाने और पहचाने मुझको,
तुम मुझ पर कटाक्ष करो l
जाना ही क्या तुमने मुझको?
कि क्या आधार बनाया है ?
मैं बिंब हूँ, संसार का नाम हूँ,
प्रतिबिंब हूँ, ख़ुद का मान हूँl
मैं पूर्ण हूँ, परिपूर्ण हूँ,
पहचान हूँ ख़ुद की शान हूँl
माना संख्या में प्रबल हो तुम,
मेरी संख्या कमतर ही सही l
पर तुम पर मैं भारी हूँ,
क्योंकि हाँ मैं नारी हूँl
असत्य डिगा नहीं सकता,
असत्य की मैं आरी हूँ l
तुम पर ही तो मैं भारी हूँ,
क्योंकि : हाँ मैं नारी हूँl
मैं मान और सम्मान हूँ,
ख़ुद का स्वाभिमान हूँ l
मैं पूर्ण हूँ, परिपूर्ण हूँ,
पहचान हूँ, ख़ुद की शान हूँl
रश्मि पाण्डेय,
ARP मलवां,
बिंदकी, फतेहपुर l
9452663203