बिन्दकी नगर के अम्बेडकर चौराहे पर रथ यात्रा के दौरान बीजेपी के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने पुलिस से दिखाई गुंडागर्दी

 बिन्दकी नगर के अम्बेडकर चौराहे पर रथ यात्रा के दौरान बीजेपी के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने पुलिस से दिखाई गुंडागर्दी



क्या सत्ता के लोग कुछ भी करें उनको करने का अधिकार है क्या इनके लिए कानून के सारे अधिकार,आर्टिकल और अनुच्छेद संवेदनहीन हो जाते हैं


अशिक्षित विचारधाराओं पर डगमगाती युवा मोर्चा की राजनीति


क्या पुलिस के कार्यों पर बाधा उत्पन्न करना जायज है


 मेले में युवा मोर्चा के पदाधिकारियों द्वारा पुलिस के बेहतर कार्यों पर अवरोध उत्पन्न करना


कार में ब्लैक शीशा लगा,हूटर लगी गाड़ी को पुलिस ने रोका तो पुलिस से रौब गाँठने लगे युवा मोर्चा जिला उपाध्यक्ष और उनके पदाधिकारी


बिन्दकी (फतेहपुर)।काम कोई भी हो लेकिन अगर बेहतर काम पर कोई भी समस्या उत्पन्न करें और एक उसके खिलाफ अगर लिख देता है तो एक पत्रकार के लिए बहुत ही गंभीर परिस्थितियां पैदा कर देता है । जब मामला सत्ता पक्ष का लिखना हो तो एक लेखक की कलम कितनी डगमगा सी जाती है । तब भी वह सही लिख ही देता है । लेकिन सत्ता के नुमाइंदों पर कोई कार्यवाही नहीं होती है । क्योंकि स्थानीय पुलिस प्रशासन पर सत्ता का इतना दबाव बना दिया जाता है कि अधिकारी कार्यवाही करने से पहले ही व्यथित हो जाता है । क्योंकि सत्ता पक्ष के छोटे बड़े नेताओ के तेवर में गर्मी इतनी होती है कि पुलिस के अधिकारी डर जाते हैं । इन युवा मोर्चा नेताओं के द्वारा इतना दवाब दिया जाता है कि अधिकांश मामलों में अधिकारी प्रताड़ित होने लगता है क्योंकि नेताओ की धमकियां मिलने लगती हैं। 

नवरात्रि का समय है मेले में भीड़ भाड़ का समय होता है ऐसे में पुलिस के अलावा आला अधिकारी का जिम्मा सुरक्षा का होता है लेकिन अगर इस सुरक्षा व्यवस्था के बीच में जिम्मेदार नेता ही पुलिस की बेहतर कार्यप्रणाली पर अवरोध उत्पन्न कर दें तो समझ लो कि राजनीतिक व्यवस्था कितनी निरंकुश हो चुकी है। ऐसे कुछ मामले होते हैं और कुछ नहीं होते हैं बल्कि कुछ जो होते हैं वह मीडिया के कैमरों में कैद हो जाता है और जो समाज के सामने आ जाता है नेताओं की हकीकत से मीडिया रूबरू कराता है क्योंकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ जो कहा जाता है । जो गम्भीर समस्या को भी दिखाता है। ऐसे ही मामलों में एक मामला जनपद फतेहपुर के तहसील बिंदकी नगर का है । जहां नवरात्र का पावन पर्व चल रहा था और रथ यात्रा निकल रही थी ऐसे में ही शाम से यात्रा के दौरान पुलिस मुस्तैद होती है पुलिस कमेटी की बैठक में जो रूट चार्ट बना था उसी रूट चार्ट पर सवारियां निकाली जा रही थी ऐसे में कार और बाइकों का आवागमन प्रतिबंधित रहता है रुट डायवर्जन होता है पुलिस बेहतर कार्य के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करती है जिससे कोई अव्यवस्था उत्पन्न ना हो ऐसे में कोई भी हो वहां जाना प्रतिबंधित होता है लेकिन ऐसे में दबंग युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष आशीष तिवारी अपनी कार में जो कि ब्लैक शीशा लगा वाहन में हूटर लगी हुई गाड़ी को डायवर्जन ( एन्ट्री ) की जगह पर गाड़ी को जबरन घुसेड़ दिया जाता है । जिससे वहां पर अवरोध उत्पन्न हो गया ऐसे में वहां पर मौजूद उपनिरीक्षक ने गाड़ी को रोक लिया और कहा कि अभी यात्रा के दौरान आप गाड़ी से इधर नहीं जा सकते हैं इतने में जिला उपाध्यक्ष युवा मोर्चा आग बबूला हो गए उनका तेवर इतना गरम हो गया कि पुलिस से ही बहुत बुरी तरह से अभद्रता करने लगा और कहा कि देख लेंगे आपको 24 घंटे के अंदर तुम्हारा ट्रान्सफर करा दिया जाएगा सारे आला अधिकारी तमाशा देख रहे थे लेकिन किसी की भी इतनी जुर्रत महिमे हुई कि कोई भी ऐसे सड़क छाप नेता पर कार्यवाही कर सके अगर इसी जगह पर कोई साधारण व्यक्ति होता तो अब तक पुलिस के साथ साथ सभी आला अधिकारी अपने सरों पर पहाड़ उठा लेते और सत्ता में बैठे लोगों का नंग नाच भी शुरू हो जाता लेकिन जब खुद सत्ता में बैठे नुमाइंदों के पदाधिकारी ही करे तो कार्यवाही और संविधान तो सिर्फ एक कागज मात्र का टुकड़ा भर रह जाता है ऐसे में इंसाफ के तराजू में सत्ता का पलड़ा ज्यादा भारी हो जाता है कानून सबके लिए बराबर है ये कथन तो सिर्फ कानूनी किताबों तक ही सिमट कर रह गया है असल मे बदलती सरकारों के साथ कानून के मायने भी बदल गए हैं।

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