लम्बी बूम मशीनों के जरिए अवैध खनन के चलते आबादी के रास्ते बने दलदल

 लम्बी बूम मशीनों के जरिए अवैध खनन के चलते आबादी के रास्ते बने दलदल



लाखों करोड़ों की बजट से बने चकरोड हो रहे धूल धूषित स्थानीय किसानों की फसलें हो रही प्रभावित


एसडीएम कानूनगो की जानकारी के बगैर खनन होने से सवालों के घेरे में संचालक


फतेहपुर। जनपद में अवैध खनन का मामला समय - समय पर चर्चा का विषय बनता रहा है। देर सबेर कार्रवाई भी होती रही है बावजूद भू माफिया व खनन माफिया पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने वाली योगी सरकार की साख को बट्टा लगाने में उनके ही कुछ सिस्टम बाज नुमांइदे पलीता लगाने में माहिर रहे हैं। जिसके चलते समय समय पर शासन की फजीहत भी होती रही है जिस से इनकार नहीं किया जा सकता। ताजा मामला कल्यानपुर थाना क्षेत्र के ग्राम सभा महमूदपुर के मजरे अजमेरीपुर,दंदवा का तब प्रकाश में आया जब ओवरलोडिंग, खस्ताहाल आम रास्ते, किसानों की धूल धूलषित हो रही फसलें, गड्ढा युक्त टूटी सड़कें स्कूली बच्चों के साथ लोगों के जी का जंजाल बन बैठे ग्रामीणों ने अवैध खनन की शिकायत उच्चाधिकारियों से जब की तो उन्हें पता चला कि उच्चाधिकारियों को गुमराह कर खनन किया जा रहा है। मंगलवार को ग्रामीणों ने कार्यदाई संस्था के डंम्फरों को रोक चेतावनी देते हुए। टूटी सड़कें खस्ताहाल दलदल में तब्दील चकरोड को बनवाने की मांग की। इस बाबत जब उपजिलाधिकारी बिंदकी एके निगम  नें बताया कि मेरी जानकारी में खनन नहीं हो रहा यदि हो रहा है तो जांच की जाएगी। उधर क्षेत्रीय हल्का लेखपाल विमल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ऑनलाइन के माध्यम से अजमेरीपुर व दंदवा की सात बिंदुओं पर एक फाइल की रिपोर्ट भेजी थी। किस भूखंड पर खनन हो रहा है। यह नहीं बता सकते चुनावी काम में व्यस्त हूं।

इसी मामले में कानून को सुनील तिवारी ने भी उप जिलाधिकारी की भांति बताया कि मेरी बगैर जानकारी के खनन हो रहा है मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। क्षेत्रीय कानूनगो के इस बयान से व चकरोड से लगे भूखंड पर खनन होने से खाऊ कमाऊ नीति जिम्मेदारों की उजागर हो गई बताते चलें कि आम चकरोड से 500 मीटर की दूरी पर ही खनन का मानक है। लेकिन सिस्टम बाजों नें नियम मानकों को ताक में रखकर तीन  लंबी बूम मशीनों के सहारे चकरोड से ही खनन कार्य शुरू कर दिया। जिसे अवैध ना कहा जाए तो आखिर क्या कहा जाए।

आम लोगों के लिए नियम मानकों  की दुहाई देने वाले जिम्मेदार  जब सभी के लिए समान नियमों की बड़ी-बड़ी डींगे हांकते हैं। तब विशेष छूट कार्यदाई संस्था के नाम पर आखिर क्यों ? इसे खनिज विभाग की कृपा पात्रता ना कहा जाए तो क्या कहा जाए!!!

वैसे भी खनिज विभाग के  पर ही हाल ही में विभागीय गोपनीयता भंग करने के आरोप लगे हैं जिससे अढावल खंण्ड से गाड़ियों सहित मशीनें समय रहते अधिकारियों के पहुंचने के पहले ही गायब हो गई जिससे किसी भी प्रकार की कार्रवाई अवैध खनन पर नहीं हो सकी।

विकास की बाट जोह रहे ग्रामीणों खनन संचालक लगा रहे पलीता

एक रोड को बनवाने के लिए कड़ी मशक्कत जनप्रतिनिधियों से करने वाले आम ग्रामीणों को दलदल ,टूटी जर्जर सड़कों से गुजरने के लिए मजबूरन बाद होना पड़ता है। रोड को बनवाने के लिए व कच्चे आम रास्ते चकरोड की बुराई के लिए मनरेगा योजना अंतर्गत का सहारा लेने के लिए जनप्रतिनिधि व माननीयों की गणेश परिक्रमा के साथ स्थानीय स्तर से लेकर उच्च स्तर तक पैरवी तक ग्रामीण करते हैं लेकिन खनन संचालक अपना उल्लू सीधा होते ही ग्रामीणों को बदहाल स्थिति में छोड़कर रफूचक्कर हो जाते हैं।

असली समस्या से किसानों को तब रूबरू होना पड़ता है जब धूल की मोटी परतों के चलते उपज की मात्रा में भारी गिरावट के साथ फसलों के दाने कमजोर होते हैं। यह साफ तौर पर पैदावार में फर्क पड़ता है।

वहीं दूसरी ओर पानी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के आवागमन में सड़क दुर्घटना के चलते व खस्ताहाल जर्जर संपर्क मार्ग सम्शाही से रेवाड़ी तक का सफर के लिए 1 घंटे पहले छात्र घर से निकलते हैं एक साथ जिससे किसी प्रकार की अनहोनी की घटना ना हो सके बावजूद जिम्मेदारों की आंखें खुलने का नाम नहीं ले रही धृतराष्ट्र की भूमिका अदा करने में माहिर विभाग के साथ जिम्मेदार कागजी कोरम पूरा कर शासन की नजरों से बच सिस्टम बाजी के चलते जेब भर रहे।

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