"कारण"
तुम्हें अपने आँसू हम क्या दिखाएँ,
तुम्हीं ने ही आँसू नयन में सजाया l
तुम्हें पीर ह्रदय हम क्या बताएं,
तुम्हीं ने ही हर पीर हमको दिया है l
तुम्हें वेदना भाव के क्या दिखाएँ,
तुम्हीं ने ही तो वेदना भर दिया है l
तुम्हें हम तपन टीस क्या समझाएं,
तुमसे तपन टीस भी मिल गया है l
ये गहराइयों की घनी भूत छाया,
इन्होंने सितम हर से परिचित कराया l
धरती औ अम्बर मिलन है क्षितिज,
मग़र ये मिलन भी अधूरा कहाया l
सफ़ेदी सी काग़ज़ की प्रीति मेरी,
मगर दाग़ स्याही का तुमने लगाया l
बड़ी सादगी से ये जीवन जिया,
मग़र सादगी में भी ऊँगली उठाया l
तुम्हें भाव सन्यास क्या समझाएँ,
ये भाव सन्यासियों की कला है l
काग़ज़ की कश्ती जो तुमने चलाया,
ये भाव पावन जो तुमने मिटाया l
तुम्हें क्या बताएं हम घाव मन के,
ये घाव भी तो तुमने दिया है l
रश्मि पाण्डेय
बिंदकी, फतेहपुर