मुडचौरा में महाराजा भगवंतराय खींची की प्रतिमा का किया गया अनावरण
फतेहपुर।मुगलों के घात से अपने प्राण न्यौछावर करने वाले असोथर रियासत के पराक्रमी वीर योद्धा महाराजा भगवंतराय खींची की प्रतिमा का अनावरण असोथर के राजा विश्ववेन्द्र पाल सिंह द्वारा की गयी , दिल्ली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर व खींची चौहान परिवार के वयोवृद्ध डॉ महेंद्र सिंह जी के द्वारा अपने जन्मदिन के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
गाजीपुर थाना क्षेत्र के विझौली हंथेमा के जंगल में सत्रह सौ पैंतीस में हैदराबाद नवाब का सेनापति , राजस्थान की तत्कालीन एक क्षत्रिय रियासत से कर वसूली के विवाद पर हमले के लिए निकलरहा था जनपद फतेहपुर के रसूलाबाद में जब वह सेना सहित रात्रि विश्राम के लिए ठहरा तो वह क्षेत्र असोथर रियासत में पड़ता था ,संवदिया व गुप्तचरों द्वारा तत्कालीन असोथर के महाराजा भगवंतराय खींची को इसकी जानकारी दी गई , गुप्तचरों ने बताया कि हैदराबाद के नवाब का सेनापति सहादत खां अपने चालिस हजार सैनिकों को लेकर राजस्थान के एक क्षत्रिय रियासत में आक्रमण के लिए निकला है जिसके साथ एक अन्य रियासत की टुकड़ी भी निजामुल्मुक के नेतृत्व में चल रही है जिस पर भगवंतराय खींची ने अपने मित्र अर्जुन सिंह सगरा हमीरपुर के साथ उक्त हथेमा के जंगल में हैदराबाद के सेनापति शहादत खां से युद्ध करने लगे , चालिस हजार की विशालतम हैदराबादी क्रूर सेना को स्थानीय गांवों की बाहरी सहयोग से असोथर के महाराजा भगवंतराय खींची चौहान द्वारा पराजित किया गया ,पर दौरान युद्ध बड़े पैमाने पर दोनों पक्षों की सैनिक जन शहीद हुए जिनके क्षत-विक्षत शरीर के सरों को एक स्थान पर इकट्ठा करने के बाद एक चबूतरा बना दिया गया ,जिसे स्थानीय बोलचाल की भाषा में लोग मुडचौरा के नाम से जानने लगे , युद्ध समाप्ति पर एक सुबह जब असोथर नरेश आराधना पर बैठे थे तभी एक भेदिया दुर्जन सिंह को मिलाकर निहत्थे भगवंतराय खींची पर प्राणघातक हमला किया गया और वह वीर गति को प्राप्त हुए , तब से अब तक आसपास के लोगों द्वारा उक्त स्थान पर पूजा अर्चना की जाती है कार्यक्रम में कुं मनोज प्रताप सिंह ,कुं बृजेन्द्र प्रताप सिंह बेटू भाईया कर्नल अवधेश प्रताप सिंह कैप्टन सुघर सिंह वीरेंद्र सिंह दिलीप सिंह प्रमोद ,श्रीवास्तव चन्द्रभान सिंह ,प्रवीण सिंह ,शिव प्रताप सिंह ,नीरज सिंह सहित असोथर ,ऐझी व अर्की चित्रकूट के वंशजों के साथ ही आसपास के सुधी जन उपस्थित रहे , कार्यक्रम का कुशल संचालन अरुण प्रताप सिंह द्वारा किया गया ।।
*पराक्रमी शाहसी होने के साथ ही साहित्य प्रेमी थे भगवंतराय*
जहां असोथर नरेश ने आधा सैकड़ा के आसपास युद्धों में विजय प्राप्त किये थे वहीं उनका साहित्य में भी गहरा लगाव रहा है ,वह गद्य के साथ ही पद्म पर भी अपनी पकड़ मजबूती से रखते थे ,उनकी रचनाओं में भगवंतराय रायसा, भगवंतरायवर्दावली व भगवंतराय जंगनांमा प्रमुख हैं
*पांच हजार दीपों से शहीदों को दी श्रद्धांजलि*
मुडचौरा शहीद स्मारक पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा स्थानीय लोगों को जागरूक कर दीपों को जलाकर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई जिलाकार्यवाह प्रदीप सिंह व खंड कार्यवाह अम्बरीष गुप्ता के मार्गदर्शन में दीपोत्सव पूर्ण हुआ।।
*दिल्ली से आये प्रोफेसर डॉ महेंद्र प्रताप सिंह*
धीरे धीरे लोगों के दिलो-दिमाग से ओझल हो रहा ऐतिहासिक भूमि मुडचौरा को जीवंत करने में दिलचस्पी दिखा कर डां महेंद्र प्रताप सिंह की एक छलक पाने को क्षेत्र का हुजूम उमड़ पड़ा , वयोवृद्ध डॉ महेंद्र प्रताप सिंह ने सभी का अभिवादन स्वीकार किया व शुभाशीष दे सबके लिए मंगलकामनाएं की तो उपस्थित जनसमूह ने उनके जन्मदिन पर अनंत शुभकामनाएं दी गयी।।
*राजस्थान से मंगाई गई प्रतिमा*
देश में पत्थर नक्काशी में पहले पायदान पर रहने वाले कारीगरों द्वारा महाराजा भगवंतराय खींची चौहान की प्रतिमा पहले असोथर मंगाई गई , प्रतिमा स्थापित करने में डाक्टर महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा अपना सम्पूर्ण योगदान दिया गया।।
*पचपन साल में हो गये शहीद*
महाराजा भगवंतराय खींची का जन्म सन् सोलह सौ अस्सी में हुई थी ,और सत्रह सौ पैंतीस में वह वीर गति को प्राप्त हुये।