गाय के बिना यज्ञादि धार्मिक क्रियाएं नहीं हो सकती सम्पन्न-आचार्य अभिषेक
संवाददाता बाँदा। श्री रामानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन 9वें वार्षिकोत्सव पर पहलवान बाबा आश्रम जसईपुर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथाव्यास आचार्य अभिषेक शुक्ल जी ने कहा विप्र,गाय,देवता तथा सन्त-ये चार सनातन धर्म एवं संस्कृति के मूलाधार हैं,विप्र के बिना धर्म के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान एवं प्रतिपादन तथा आचरण संभव नहीं है,धेनु के बिना यज्ञादि धार्मिक क्रियायें संपन्न नहीं हो सकती हैं,देवताओ की कृपा के अभाव में सत्कर्मों का फल उचित प्रकार से नहीं मिल सकता है तथा प्राणी के गुणों का विकास नहीं हो सकता है।सन्त या सज्जन वास्तविक धर्मानुयायी तथा मानवीय गुणों से परिपूर्ण होते हैं।
नवम स्कंध में सत्यव्रतमनु महाराज का चरित्र वर्णन करते हुए कहा कि इन्हें यज्ञनारायण की कृपा से इला नामक कन्या की प्राप्ति हुई,राजा ने वशिष्ठ जी से पुत्र बनाने का निवेदन किया तो वशिष्ठ जी ने उस कन्या को सुद्युम्न नामक राजकुमार बना दिया,एक दिन सुद्यम्न भोलेनाथ के इलावृत खंड में प्रवेश कर गया जिसके परिणाम स्वरूप पुनः स्त्री बन गया,फिर भी सत्यव्रत राजा ने संतोष नहीं किया,इस कथा से संकेत मिलता है कि भगवद्विधान को कभी भी दोषपूर्ण भी नहीं मानना चाहिए,भगवद्विधान को अत्यन्त श्रद्धापूर्वक स्वीकार करना चाहिए,कृष्णावतार की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि जब-जब पृथ्वी पर अत्याचार,अनाचार की वृद्धि होने लगती है तब भगवान् अवतार धारण करके प्रपन्न जनों की रक्षा और दुष्टों का संहार करके धर्म की स्थापना करते हैं,नन्द महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।इस अवसर पर संयोजक जयराम दास,धनीराम शकुन्तला,मनोज,पंकज एवं विविध संत जन उपस्थित रहे।