धर्मार्जित लक्ष्मी ही होती है चिरस्थायी- आचार्य अभिषेक

 धर्मार्जित लक्ष्मी ही होती है चिरस्थायी- आचार्य अभिषेक


 

संवाददाता बाँदा।श्री रामानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन 9वें वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य पर

पहलवान बाबा आश्रम जसईपुर में रहे श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कथावाचक आचार्य अभिषेक शुक्ल जी ने कहा कि राजर्षि परीक्षित ने कलियुग को निवास के लिए चार स्थान प्रदान किए,पुनः याचना करने पर अन्याय से अर्जित किए हुए धन पर निवास स्थान प्रदान किया किया इसलिए अन्यायोपार्जित धन से सुख सामग्री तो अर्जित की जा सकती है परन्तु कोई सुखी नही हो सकता,सुखी होना और सुख सामग्री एकत्रित कर लेना अलग है,धर्म से अर्जित की हुई लक्ष्मी ही स्थायी और सुखदायिनी होती है महाभारत के कतिपय प्रसंगो का वर्णन करते हुए कहा कि पापी को अपने पाप का परिणाम अवश्यमेव भोगना पड़ता है,

कहा कि शुकेदव महाराज ने मंगलाचरण करते हुए कहा कि कोई कितना भी श्रेष्ठ यशस्वी,मनस्वी,तपस्वी हो पर जब तक भगवान् के श्री चरणों में प्रपत्ति गृहण नहीं करेगा तब तक उसका कल्याण नहीं होगा  ! 

कुन्ती स्तुति,भीष्म स्तुति,परीक्षित जन्म,शुकदेव आगमन इत्यादि कथाओं का समास-व्यास विधि से वर्णन किया !इस अवसर पर संयोजक  जयराम दास  धनीराम शकुन्तला  मनोज,पंकज  आदि उपस्थित रहे !

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