पाकिस्तान की जेल से छूट कर घर पहुंचे मछुआरे परिजनों में छाई खुशी की लहर

 पाकिस्तान की जेल से छूट कर घर पहुंचे मछुआरे परिजनों में छाई खुशी की लहर



 संवाददाता बाँदा - जनपद के तिंदवारी थाना अंतर्गत जसईपुर के रामविशाल कुशवाहा का बेटा विवेक, सिंघौली के विनोद का बेटा राजू और महेदू के प्यारेलाल का बेटा बाबू 9 नवम्बर वर्ष 2017 को गुजरात के ओखा बंदरगाह के पास समुद्र में  मछली का शिकार करते समय नाव तेज हवा के झोंके में बेकाबू होकर पाकिस्तान की समुद्री सीमा में चली गई। और पाक सैनिकों ने सभी को दबोच पाकिस्तान ले गए। मछुआरों के मुताबिक मारपीट जरा भी नही की, लेकिन सवाल बहुत पूंछे। पहले एक दिन कराची में व अगले दिन लांडी जेल ले जाया गया। जहां वह सभी 4 वर्ष 3 माह बिताए हैं।

     पाक जेल से रिहा होने के बाद रविवार को देर शाम यहां अपने-अपने घर मछुआरे पहुंचे। मछुआरों ने अपने माता-पिता और बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। सभी ने उन्हें गले लगा लिया। कमाऊ पूतों के जेल में रहने से इनके घरों की आर्थिक स्थिति तंग हाल हो चुकी थी, फिर भी परिजनों ने अपने बेटों के आने की खुशी में हल्की फुल्की पार्टी भी रखी। 

       राजू की मां मीरा नम आंखों से बोली म्वार लाल जब से पकड़ा गा रहै तब से नींद ना आवत रहै, ना खाएं का निक लागत रहै। बस भगवान का सहारा रहे,  अब वहिका बाहर ना जाय दहियौ।पाक जेल में ईद के पर्व पर बिरयानी मिलती थी, उस दिन छुट्टी भी रहती थी कोई भी काम नही करना पड़ता था। होली और दिवाली के त्यौहार में हम स्वयं पकवान आदि बना लेते थे। जेल में प्रतिदिन सुबह दो घण्टे हल्का फुल्का काम करना होता था लेकिन त्यौहारों में वह भी नही करना पड़ता था।पाक जेल छूटे मछुवारों में विवेक, बाबू और राजू ने बताया कि मोतियों से माला, पर्स, छोटे-छोटे खिलौने, महिलाओं के सौंदर्य से जुड़ी चीजें बनाकर कमाई करते थे। मछुआरों के मुताबिक वे जेल में माला बनाने का काम करने लगे थे उन्हें ढाई सौ से 300 रुपये रोजाना आमदनी हो जाती थी। उनके तैयार किए माला जेल में ही बिक जाते थे । इन्हीं पैसों से मोती और धागा तथा माला की अन्य सामग्री खरीदी जाती थी। इन्हीं पैसों से मनमुताबिक पकवान कपड़े आदि लेते थे ।मछुआरों के मुताबिक गुजरात सरकार 9 हजार रुपये प्रति माह हर्जाना पकड़े गए मछुवारों के परिवार को देती है, लेकिन यूपी सरकार कुछ नहीं देती।

 मछुआरों के परिजनों ने सरकार से कुछ मुआवजे की मांग की है, जिससे कि वह अपने बेटों की आजीविका के लिए कोई काम धंधा शुरू  करवा सके।

 मछुआरों ने बताया कि कोरोना के दौरान  सख्ती बढ़ गई थी। सभी मछुआरे  कोरोना नियमों का पालन करते थे जसईपुर के विवेक के पिता रामविशाल कुशवाहा, सिंघौली के राजू के पिता  विनोद कुशवाहा, और महेदू के बाबू कुशवाहा के पिता प्यारेलाल ने सरकार से मुआवजे की मांग की है।

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