यूक्रेन के खारकीव में फंसीं आगरा की दो छात्राएं, बोलीं- एटीएम बंद, रुपये खत्म अब कैसे पहुंचे बॉर्डर

 यूक्रेन के खारकीव में फंसीं आगरा की दो छात्राएं, बोलीं- एटीएम बंद, रुपये खत्म अब कैसे पहुंचे बॉर्डर  



न्यूज़।यूक्रेन के खारकीव में आगरा की दो छात्राएं फंसी हुई हैं। धमाकों की गूंज और दहशत से भरा माहौल उन्हें डरा रहा है। हालांकि बृहस्पतिवार को उन्हें शहर से 20 किमी दूर सेफ हाउस में शरण मिल गई, जहां उनके साथ 600 से अधिक भारतीय छात्र हैं। लेकिन अब इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती बॉर्डर पहुंचने की है। 

बंद पड़े हैं  एटीएम  

ताजनगरी की अंजलि और भाव्या फंसी हैं। बृहस्पतिवार को उन्हें शहर से 20 किमी दूर सेफ हाउस में शरण मिल गई, जहां उनके साथ 600 से अधिक भारतीय छात्र हैं। वहां से निकलने के लिए फंड की समस्या है। एटीएम बंद पड़े हैं। कार्ड काम नहीं कर रहे। बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए बस चालक नकद मांग रहे हैं। शास्त्रीपुरम स्थित निखिल उद्यान सिकंदरा निवासी अंजलि पचौरी के पिता बृज गोपाल पचौरी ने बताया कि खारकीव से 20 किमी दूर एक सेफ हाउस में बेटी सुरक्षित है। वो साथ में मौजूद 600 से अधिक भारतीय छात्रों के ग्रुप के साथ वहां से निकलेगी। 

कैसे पहुंचाएं पैसा उन्होंने बताया कि कुछ छात्रों के पास फंड नहीं है। वहां अभिभावक पैसा नहीं पहुंचा सकते हैं। एटीएम बंद पड़े हैं। कार्ड काम नहीं कर रहे। वहीं निखिल गार्डन शमसाबाद रोड निवासी भाव्या चौहान भी खारकीव में फंसी हैं। भाव्या के पिता जालमा इंस्टीट्यूट में डॉ. डीएस चौहान वैज्ञानिक हैं। उन्होंने बताया कि बेटी से लगातार संपर्क हो रहा है। बृहस्पतिवार को वह खारकीव के बाहर सोचिन नामक जगह पर सुरक्षित पहुंच गई। उन्होंने बेटी की जल्द वापसी के लिए सरकार से सहयोग मांगा है।टर्नोपिल में मेडिकल की पढ़ाई कर रही मारुति एस्टेट पुनीत विला निवासी राशि गुप्ता बृहस्पतिवार को घर पहुंच गई। उन्होंने बताया कि वह पौलेंड बॉर्डर पर फंसी थीं। वहां यूक्रेनी सैनिकों ने भारतीय छात्रों के साथ बुरा बर्ताव किया। उनके साथ अभ्रदता और मारपीट की। यूक्रेनी सैनिक कह रहे थे आपकी सरकार ने हमें सपोर्ट नहीं किया, तो हम क्यों हेल्प करें। स्लोवाकिया के रास्ते भारत आई राशि से फ्लाइट में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बातचीत की थी। 35 किमी चलना पड़ा  पैदल 

राजीव गुप्ता की पुत्री राशि ने बताया कि  हमला शुरू होते ही सभी एटीएम के बाहर लाइन लग गई थी। रुपये भी खत्म हो गए थे। एयर स्ट्राइक का सायरन लगातार बज रहा था। मुझे लगा कि अब यहां रुकना खतरे से खाली नहीं। हमारी यूनिवर्सिटी में 2800 छात्र भारतीय थे। पोलेंड बॉर्डर पहुंचने के लिए हमें 35 किमी पैदल चलना पड़ा। वहां किसी को प्रवेश नहीं मिला। यूक्रेनी सैनिकों ने छात्रों को थप्पड़ मारे। हद दर्जे की बदसलूकी की। बमुश्किल हमें प्रवेश मिला।

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