"मेरे शिव मेरी शक्ति"
है सोंच बड़ी निर्मम प्रभु जी!
इस जग से मुझे बचा लेना l
हैं बड़े कपट ह्रदय में यहाँ,
तुम रक्षा कवच बना देना l
मैं जान रही, मैं समझ रही,
पग - पग कपट भी काट रही l
हर पाप भरे ह्रदय से प्रभु!
तुम दामन मेरा बचा देना l
मैं धैर्य तुम्हारे साहस से,
हर राह को सरल बनाती हूँ l
मैं शांत चित्त होकर के भी,
पापी को सबक सिखाती हूँ l
मन मेरा विह्वल होता है,
पाखंड देख करके जग के l
दुनिया की हर बेरहमी से,
प्रभु! तुम ही मुझे बचा लेना l
लेकर भक्ति का शस्त्र तेरे,
मैं राह नवीन बनाती हूँ l
मन में न पाप कभी आये,
निष्पाप मेरा मन कर देना l
मैं तुम्हें समर्पित कर जीवन,
हर कर्म तुम्हारा करती हूँ l
हर पाप से लड़ने को प्रभु जी!
सामर्थ्य मुझे तुम दे देना l
रश्मि पाण्डेय
बिंदकी, फतेहपुर