भरत जी का जीवन अनुरकरणीय:निशी
भरत चरित्र में स्वार्थ व परमार्थ दोनों को समान दर्जा:आलोक मिश्र
गिरिराज शुक्ला
बिंदकी फतेहपुर
मलवा विकास खंड के बहरौली गांव में चल रहे पांच दिवसीय रामचरित मानस कथा के चतुर्थ दिवस चित्रकूट से आई मानस रामायणी निशी दीदी ने भरत चरित्र की कथा सुनाई।उन्होंने कहा भरत जैसा भाई हो तो विवाद की स्थिति ही न बने।आज के समाज के लिए भरत जैसे भाईयो की जरूरत है।कहा भरत का श्री राम के प्रति प्रेम अनुकरणीय है।झीझक से आए मानस मर्मज्ञ आलोक मिश्रा ने कहा भरत का चरित्र दूध की तरह उज्ज्वल है। मानस में इस चरित्र की बड़ी महिमा गाई गई है।भरत का चरित्र दुर्लभ है।मानस में भरत जी ही एक ऐसा पात्र है जिसमें स्वार्थ व परमार्थ दोनों को समान दर्जा दिया गया है।इस लिए भरत जी का चरित्र अनुकरणीय है।पूर्व प्रमुख सुरेंद्र सिंह,रामशरण सिंह परिहार,पवन तिवारी,आलोक गौड़,महेंद्र सिंह गौतम,रंजीत सिंह परिहार,नीतू चौहान,रामप्रकाश सिंह,रतिभान सिंह,हर्षित सिंह,मयंक सिंह चौहान,कृष्णपाल सिंह चौहान,पप्पू सिंह गौतम,राजू परिहार,रामनरेश कछवाह,अशोक दुबे,रामचंद्र सिंह,राजू तिवारी,दिलीप तिवारी,लवकुश आदि रहे।