यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः

 यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः 



महिला दिवस पर सम्मानित की गई बेटियां


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित हुआ सम्मान समारोह 


खागा (फतेहपुर)।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर धाता विकास खंड के गांव गुरसंडी में पं. सूर्यपाल रमाशंकर राममूरत पाण्डेय निष्पक्ष देव विद्या मंदिर कालेज में  सम्मान समारोह आयोजित किया गया l इस अवसर पर शिक्षण कार्य में उत्कृष्ठ बेटियों को सम्मानित किया गया l ये बेटियां पूरे वर्ष विद्यालय के सभी कार्यक्रम , प्रतियोगिता ,शिक्षण कार्यों में अव्वल रही हैं l मुख्य रूप से लक्ष्मी देवी, सलोनी देवी ,साधना देवी, मनीषा देवी,कमला देवी,वंदना देवी ,स्वाति देवी,इस्मिता देवी को सम्मानित किया गया l अपने संबोधन में 

बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने कहा की सही मायने में महिला दिवस तब ही सार्थक होगा जब विश्व भर में महिलाओं को मानसिक व शारीरिक रूप से संपूर्ण आजादी मिलेगी, जहां उन्हें कोई प्रताड़ित नहीं करेगा, जहां उन्हें दहेज के लालच में जिंदा नहीं जलाया जाएगा, जहां कन्या भ्रूण हत्या नहीं की जाएगी, जहां बलात्कार नहीं किया जाएगा, जहां उसे बेचा नहीं जाएगा। समाज के हर महत्वपूर्ण फैसलों में उनके नजरिए को महत्वपूर्ण समझा जाएगा। तात्पर्य यह है कि उन्हें भी पुरुष के समान एक इंसान समझा जाएगा। जहां वह सिर उठा कर अपने महिला होने पर गर्व करे, न कि पश्चाताप, कि काश मैं एक लड़का होती।

 आज संपूर्ण विश्व की महिलाएं देश, जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं। साथ ही पुरुष वर्ग भी इस दिन को महिलाओं के सम्मान में समर्पित करता है।दरअसल इतिहास के अनुसार समानाधिकार की यह लड़ाई आम महिलाओं द्वारा शुरू की गई थी। प्राचीन ग्रीस में लीसिसट्राटा नाम की एक महिला ने फ्रेंच क्रांति के दौरान युद्ध समाप्ति की मांग रखते हुए इस आंदोलन की शुरूआत की, फारसी महिलाओं के एक समूह ने वरसेल्स में इस दिन एक मोर्चा निकाला, इस मोर्चे का उद्देश्य युद्ध की वजह से महिलाओं पर बढ़ते हुए अत्याचार को रोकना था। हमारे देश भारत में भी महिला दिवस व्यापक रूप से मनाया जाता । 

भारत में महिलाओं को शिक्षा, वोट देने का अधिकार और मौलिक अधिकार प्राप्त है। धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल रही हैं। भारत में आज महिला आर्मी, एयर फोर्स, पुलिस, आईटी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा जैसे क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं। माता-पिता अब बेटे-बेटियों में कोई फर्क नहीं समझते हैं। लेकिन यह सोच समाज के कुछ ही वर्ग तक सीमित है।  शालिनी ने कहा की शिक्षा के महत्ता से महिलाएं जीवन का सुधार किया जा सकता है l आंचल सिंह ने कहा की आज भी ग्रामीण भारत में  परिवार  में पूरा अधिकार नहीं मिलता है lअंजली, कोमल देवी , निर्मला देवी, खुशबू अनामिका देवी , शिवानी पटेल , लक्ष्मी सिंह , स्वाति देवी , पलक शर्मा ,महिमा सिंह,वर्षा देवी ,रिया त्रिवेदी , प्रियंका देवी , आंकक्षा त्रिवेदी , प्रिया शुक्ला , 

निष्ठा त्रिपाठी , आरती सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे l

टिप्पणियाँ