विश्व जल दिवस आज : पहले बुझती थीं प्यास, अब दम तोड़ रही पुनरुद्धार की आस

 विश्व जल दिवस आज : पहले बुझती थीं प्यास, अब दम तोड़ रही पुनरुद्धार की आस



तिल-तिल मर रहे  ऐतिहासिक पक्का तालाब का पुनरोद्धार कब?


बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति तालाब सौंदर्यीकरण हेतु कर चुकी कई आंदोलन 


खागा (फतेहपुर) :  धरोहर जलाशयों को संवारने की न पहले किसी ने रुचि ली और न आज कोई ध्यान देर रहा है। खागा नगर के केंद्र बिंदु में स्थिति आज़ादी के आन्दोलन का गवाह पक्का तालाब आज भी   प्रशासन की उपेक्षा के चलते तिल-तिल मरने को मजबूर हैं |  भू गर्भ जल संग्रह के लिए अच्छी अच्छी बाते करने वाले प्रशासन की चुप्पी का दंश क्षेल रहा पक्का तालाब l प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का गवाह , खागा की  प्राचीन धरोहर पक्का तालाब प्रशासनिक उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है। वर्ष 1860 में मिर्जापुर के एक व्यापारी द्वारा बनवाया गया पक्का तालाब मौजूदा समय में कूड़ाघर बन गया है। चारों ओर बसी आबादी से निकलने वाले कचरा तालाब के गर्भ में पहुंच रहा है।  स्थानीय नागरिक भी प्राचीन धरोहर को उसका असली स्वरूप न मिलने से व्यथित हैं। ऐसा नहीं है कि शहर स्थित सरोवरों को संवारने की आवाज नहीं उठी। बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने पूर्व में कई बार स्वयंसेवकों के साथ पक्का तालाब जाकर उसके आस-पास रहने वाले परिवारों से मुलाकात कर चुके हैं। समिति के द्वारा रिकार्ड बुंदेलखंड राज्य निर्माण हेतु 26 बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से पत्र लिख चुके है l समिति द्वारा जल जंगल जमीन बचाने धरोहरों को संरक्षण के लिए स्कूल विद्यालयों कालेजों में गावों में जा कर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है l उनके द्वारा विद्यार्थियों को व्रक्षरोपण के प्रति विशेष रूप से प्रेरित किए जा रहे l विद्यार्थियों का सहयोग भी मिल रहा है l पाण्डेय द्वारा महापुरुषों के जयंती पुण्यतिथि पर वृक्षारोपण करवाया जा रहा है l बच्चो को उनके जन्म दिन पर उपहार देकर शुभ अवसरों पर वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया जा रहा है l आज विश्व जल दिवस पर समिति के  अध्यक्ष ने बताया की तालाबों का जल संरक्षण में बहुत उपयोग है l 

 खागा के ऐतिहासिक तालाब के संरक्षण, जीर्णाेद्वार और इसके पुर्नस्थापना के लिए भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से मांग किया गया l समिति ने जिलाधिकारी तथा उपजिलाधिकारी खागा को ज्ञापन देकर, तालाब किनारे दीप जलाकर, जिलाधिकारी को खून से पत्र लिख कर तथा हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से पक्का तालाब के संरक्षण संवर्धन कर प्रयास किया। रक्षाबंधन त्योहार पर समिति स्वयं सेवकों द्वारा पक्का तालाब की रक्षा हेतु 21 साड़ियों का रक्षा सूत्र बांध कर जीर्णाेद्धार का संकल्प लिया था। श्री पाण्डेय ने बताया कि इस पक्का तालाब का इतिहास देश आजादी से पूर्व का है। मिर्जापुर के एक व्यापारी ने सदियों पहले 40 हजार रूपये की लागत से पक्का तालाब का निर्माण कराया था। मौजूदा समय में देखरेख व संरक्षण के अभाव में इसका अस्तित्व मिटने की कगार पर पहुंच चुका है। आजादी की बुलंद गाथा का गवाह, ऐतिहासिक पक्का तालाब  प्रशासन की अनदेखी से गंदगी और अव्यवस्था का शिकार बना हुआ है। आलम यह है कि तालाब का पानी पूरी तरीके से हरा हो चुका है। इसमें पड़ी गंदगी जलीय जीवों के लिए मौत का कारण बन रही है। तालाब के आस-पास तथा इसके अंदर गंदगी होने से दुर्गंध फैल रही है। ऐतिहासिक धरोहरों को संजोए रखने के लिए पक्का तालाब का जीर्णाेद्धार कराया जाना नितांत आवश्यक व हितकारी है। कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं। जिसकी वजह से समिति के स्वयंसेवक व नगर क्षेत्र के समाजसेवियों की भावनाएं  आहत हो रही हैं।

तालाब की सुरक्षा और संरक्षा निगम प्रशासन ही नहीं हर नागरिक की जिम्मेदारी है। नगर के जलाशयों की चिंता करने वाले लोगों का कहना है कि चाहे पक्का  तालाब हो या धुमन गंज का तालाब, विजय नगर का तालाब , रावण मैदान का तालाब या अन्य तालाब , जिला प्रशासन तालाबों के संरक्षण को लेकर कभी गंभीर नहीं दिखा।

भू-माफिया की नजर

परिणाम यह रहे कि नगर के  विकास के साथ भू-माफिया की नजर जलाशयों पर पड़ी और वे राजस्व अमले के साथ मिलीभगत कर नगर  के तालाब ही बेच डाले। यही कारण है कि नगर  के सरोवर अब कागजों  में सीमित होकर रह गए हैं। जमीन कारोबारियों की नजर आज भी जलाशयों की जमीन हड़पने पर लगी है। नगर  के जलाशयों को सरंक्षित कर उन्हें पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है | तत्कालीन उपजिला अधिकारी अमित भट्ट द्वारा पक्का  तालाब का सीमांकन कर उसके  सौंदर्यीकरण की फाइल तैयार की थी। लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद अतिक्रमण की भेंट चढ़ता  जा रहा पक्का तालाब | तालाबो  के सीमांकन में राजस्व विभाग द्वारा अपेक्षित सहयोग न मिलता है |

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