भूमाफियाओं ने झांसा देकर बेच दिया करोड़ों के सीलिंग की जमीन
अपनी अनुसूचित जाति छुपाकर भोलेभाले लोगों को जमीन बेचकर फरार हो चुके है भूमाफिया
गोरखपुर।गोरखपुर महानगर में जमीनों के खरीद फरोख्त में धड़ल्ले से सरकारी आदेशों की अवहेलना करते हुए जनहित के मुद्दे को नजरअंदाज किया जा रहा है। गौरतलब हो कि कुछ दिन पूर्व गोरखपुर महानगर में सीलिंग की पच्चीस एकड़ जमीन को झारखण्डी टुकड़ा नंबर २ में बेच दी गई जिसके खिलाफ जिलाधिकारी गोरखपुर विजय किरन आनंद द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज कराया गया। लेकिन अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। इन्हीं भूमाफियाओं के द्वारा कुछ बर्ष पूर्व झारखण्डी टुकड़ा नंबर 3 में अपनी जाति को छुपाकर जमीन को बेचने का मामला प्रकाश में आया है। मामला राजस्व विभाग में सूचना के बावजूद अभी तक मामला ठंडा बस्ते में डाल दिया गया है। इसमे राजस्व विभाग के निचले स्तर के बहुतायत अधिकारी व कर्मचारी को पता है कि कौन किसकी जमीन है। लेकिन जालसाजों का विभागीय गठजोड़ के कारण और राजनीति पकड़ होने का धौंस दिखाकर स्वतंत्र रूप से घूम रहें है। जबकि हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति को अपनी जमीन बिना जिलाधिकारी के परमिशन के विक्रय पर रोक लगा रखा है
बाक्स ।गोरखपुर महानगर में जमीन से जुड़े विवाद के बढते हुए मामलों से यहाँ के वुद्धिजीवी वर्ग काफी चिन्तित तथा परेशान है। जमीन जायदाद से जुड़े मामलों पर निःशुल्क कानूनी राय देने वाले संगठन 'अखिल भारतीय भ्रष्टाचार निरोधक संघ' के लीगल एडवाइजर एडवोकेट अरूण कुमार पाण्डेय ने सुझाया है कि भूमाफियाओं पर लगाम कसने तथा जमीनों के खरीद फरोख्त में फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए जरूरी है कि कोई भी जमीन उसके स्वामित्व, भूप्रयोग, जाति प्रमाण पत्र, सीलिंग परमिशन तथा भू अधिग्रहण प्रमाण पत्र के बगैर विक्रय को प्रतिबंधित किया जाय। राजस्व मामलों के समस्त प्रमाण पत्र के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम तथा समयबद्ध नामांतरण किया जाय। साथ ही अनुसूचित जाति छुपाते हुए सरकार और अधिकारियों को झांसे में रखकर जिन जमीनों का रजिस्ट्री हुआ है उन जमीनों की रजिस्ट्री तत्काल प्रभाव से रद्द कर हाईकोर्ट के मंशानुसार सरकारी संपत्ति घोषित किया जाय। जिससे भूमाफियाओं पर लगाम लगाया जा सके।