गोस्वामी जी ने कहा कलयुग में नाम को याद करके ही भवसागर से पार हुआ जा सकता है दूसरा कोई उपाय नहीं

 गोस्वामी जी ने कहा कलयुग में नाम को याद करके ही भवसागर से पार हुआ जा सकता है दूसरा कोई उपाय नहीं



जो नामदान बताऊंगा उससे भगवान और देवी-देवताओं का दर्शन इसी मनुष्य शरीर में  होगा -सन्त उमाकान्त 


नागदा (मध्य प्रदेश)।धार्मिक ग्रंथों को केवल पढ़ने से, पाठ सुनने से पूरा फायदा नहीं मिलता है इसलिए उनका प्रैक्टिकल करवाने वाले, गोस्वामी जी ने राम चरित मानस में जिस नाम की महिमा, गुणगान बार-बार किया उस नाम को देने के एकमात्र अधिकारी इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 11 अप्रैल 2022 को नागदा (उज्जैन) में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि आज हम आपको वो रास्ता बता देंगे। उससे जब आप कोशिश करोगे तो वह (भगवान) मिल जाएगा, देवी-देवताओं का दर्शन इसी मनुष्य शरीर में होगा।


*गुरु महाराज ने करोड़ों लोगों को नाम दान दिया*


सबकी गारंटी तो नहीं लेता हूं कि सबको भगवान मिल गए क्योंकि स्कूल में पढ़ने के लिए लड़के जाते हैं। कोई टॉप, फर्स्ट, सेकंड, थर्ड, पास, फेल, कोई स्कूल छोड़ कर भाग जाता है। व्यक्ति पार कब होता है? जब (अंतर के) घाट पर बैठता है। जैसे दूर से ही मल्लाह से चिल्ला कर कहो कि पार कर दो तो मल्लाह आपको नदी कैसे पार करवायेगा? घाट पर बैठना पड़ता है।


*देवी-देवता से मिलने का रास्ता दोनों आंखों के बीच से है खुलता*


वह घाट कहां है? दोनों आंखों के बीच में है। यहीं पर गंगा, जमुना, सरस्वती है, देवी-देवता सब हैं, यहीं से रास्ता खुलता है इनसे मिलने का। कहा गया सब कुछ इसी घट में है, सब इसी (शरीर) में है और इन्हीं दोनों आंखों के बीच से रास्ता खुलता है। ज्यादा बताने का समय आज नहीं है। लोगों ने जब चक्रों का भेदन किया, देवताओं का दर्शन किया तो उनको विश्वास हो गया। जो मैं बताऊंगा, आप लोग करोगे, उससे आपको फायदा दिखने लगेगा।


*पहले की पूजा-उपासना बड़ी कठिन थी, अब नहीं कर सकते हैं लोग*


पहले अष्टांगयोग, हठयोग, कुंडलियों को जगाते, प्राणायाम करते, पेड़ों पर उल्टे लटकना, कांटों पर सोना, हड्डी-हड्डी सूख जाती थी, मांस-खून एक तरह से जल जाता था लेकिन जल्दी कामयाबी नहीं मिलती थी।


*मनु और शतरूपा का तपस्या करते-करते पूरा शरीर सूख गया था, जो शब्द मैं बताऊंगा वह शब्द जब सुने तो स्वस्थ हो गये थे*


उत्तर-प्रदेश के नेमिषारण्य में मनु और शतरूपा तपस्या करते थे। पूरा शरीर सूख गया, चलना-फिरना मुश्किल, सांस भर चल रही थी, शक्ति शरीर की खत्म हो गई थी लेकिन उनके ऊपर दया हुई। जब ऊपर से शब्द उतरा, जो शब्द रूपी नाम आपको अभी बताऊंगा जब वह शब्द रूपी नाम उनको सुनाई पड़ा तब


 *हिष्ठ पुष्ठ तन भवै सुहाए।*

 *मानहुँ अबहिं भवन ते आए।।।*


एकदम से शरीर स्वस्थ हो गया। पहले बड़ी तपस्या लोग करते थे लेकिन अब तपस्या का समय नहीं है। अब तो आपसे कह दिया जाए कि तीन घंटा यहां बैठो तो बैठ नहीं सकते हो। शरीर कमजोर हो गया। शरीर से बैठे भी रहोगे तो मन कहां लगा रहेगा? अभी रोटी बनाना, साग-सब्जी ले जाना, जानवरों को देखना, बच्चों का पता नहीं क्या हाल होगा, रात हो जाए कोई ताला तोड़कर के चोर सामान ले जाए आदि। मन उधर लगा रहेगा। इस समय वह (पिछले समय की साधनाएं) नहीं हो सकता है।


*कलयुग में सन्तों ने ऐसा सरल रास्ता निकाल दिया, थोड़ा मन रोककर कर कहीं भी कर लो*


अब तो वह समय है कि कहीं भी बैठ जाओ, कहीं भी कर लो। एक घड़ी आधी घड़ी, आधी में पुनि आध। थोड़ा भी समय निकाल लो, मन को रोक लो और नाम जो उसका इस समय पर है


*कलयुग केवल नाम आधारा।*

 *सुमिर-सुमिर नर उतरहि पारा।।*


गोस्वामी जी ने उस नाम के लिए कहा कि कलयुग में इस नाम को याद करके ही भवसागर पार हुआ जा सकता है। वह नाम आपको बताया जाएगा। उस नाम से उसको पुकारोगे तो वह सुनेगा, आपकी तरफ देखेगा और आप के भाव जैसे होंगे वैसे ही आपके ऊपर वह दया कर देगा।


*सन्त उमाकान्त जी के वचन*


ऐसा काम करो कि पूरे विश्व में तुम्हारी कीर्ति हो जाए। कीर्ति, यश को दुनिया की कोई भी शक्ति  खत्म नहीं कर सकती। एक समय ऐसा आएगा कि लोग गाँव छोड़कर नदियों के किनारे चले जाएंगे।नदियों का पानी शुद्ध और साफ रखो, एक दिन यही तुम्हारे काम आएगा। कुदरती कहर जब बढ़ेगा, व्यवस्था बिगड़ेगी तब नदी, तालाबों का ही पानी पीने के काम आएगा। इसे स्वच्छ रखो। प्रेमियों ! इस समय आलोचना का समय बिल्कुल नहीं।

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