बिना आईएसआई मार्क के बिक रहे पैक्ड पानी

 बिना आईएसआई मार्क के बिक रहे पैक्ड पानी 



मिनरल वाटर के नाम पर बिक रहा दूषित पानी पाउच का जिम्मेदार कौन


रिपोर्ट - श्रीकांत श्रीवास्तव


बांदा : शहर में मिनरल वाटर के नाम पर दूषित पानी के पाठ्चों की बिक्री दिनों- दिन परवान चढ़ रही है, इसकी रोकथाम करने

वाला कोई नहीं है। जबकि पैक्ड ड्रिंकिंग वाटर के लिए आईएसआई मार्का अनिवार्य है। जगह-जगह खुले आरओ प्लांट के नाम पर जहां निरंतर भूगर्भ जल का दोहन किया जा रहा है वहीं दूषित पानी ही पाउचों और कटेनरों में भरकर बेचा जा रहा है। पानी के नाम पर शहर में प्रतिमाह करोड़ो रुपये का व्यापार होता है, इससे जहां सरकार को राजस्व की चपत लग रही है वहीं इस कारोबार से जुड़े लोग दिन-रात अपनी

आमदनी बढ़ाने में जुटे हैं। पानी के मामले में समृद्धशाली बुंदेलखंड में पिछले एक दशक से पानी का ही अच्छा खासा व्यापार हो रहा है। शहर में इन दिनों जगह-जगह आरओ प्लांट

लगे हुए हैं, जिनमें कोई भी मानको को पूरा नहीं करते और न ही उनके पास पानी फिल्टर करने के आधुनिक संयंत्र हैं। इसके बाद भी मिनरल वाटर के नाम पर पानी का यह धंधा दिनों-दिन परवान चढ़ रहा है। भूगर्भ से सीधा जल निकालने के बाद यह लोग उसे कटेनरों में भरते हैं और फिर टैम्पो-टैक्सी के माध्यम से बाजार वरिहायशी इलाकों में 30 रुपये प्रति कटेनर की

दर से उसे मिनरल वाटर के नाम पर बेचते हैं। इतना ही नहीं शहर में मिनरल पाउचों की भी अच्छी खासी खपत है। शहर के खाईपार, अतर्रा चुंगी, कालूकुआं, आवास विकास, इंदिरा नगर

निम्नीपार, खुटला, जवाहरनगर, जरैली कोठीसमेत तमाम इलाकों में दूषित पानी को ही पाउचों में पैक करके बेचा जाता है। इन पाठचों पर न तो आईएसआई मार्का है और न ही निर्माणकर्ता कंपनी का नाम व पता दर्ज है। इससे अनजान

लोग मिनरल व ठंडे पानी के नाम पर दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। बताते हैं कि खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन विभाग की मिलीभगत से ही दूषित पानी की बिक्री का धंधा शहर में दिनों- दिन तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है।

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