पैथोलॉजी लैब में जांच के नाम पर मरीजों से हो रही मनमानी लूटनिजी
कुछ सरकारी अस्पताल के डॉक्टर अपने निजी क्लिनिको में लोगों की जेबों में डाल रहे डाका,
बांदा - उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा लोगों को सस्ता इलाज उपलब्ध कराने की बात कही जाती है। सरकारी अस्पतालों में पर्चा तो एक रुपए का काटा जाता है। सभी दवाएं सरकारी अस्पताल में उपलब्ध होने की बात कही जाती है।अगर सरकारी अस्पताल की दी हुई दवाओं से मरीज सही नहीं होता तो फिर मानो कि मरीज की जेब में डाका पड़ना तय है।
जनपद में मरीजो की जांच के नाम पर प्राइवेट पैथोलॉजी लैब में मनमाना पैसा वसूला जा रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग को कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। किसी भी पैथोलॉजी में जांचों का रेट चार्ट भी नहीं लगाए गए है। कम से कम मरीज को पता चले कि कीस जांच का कीतना रुपया लगना है। हर जगह का अलग-अलग अपना रेट है। लेकिन इसमें गरीब तबके के लोग पिस रहे हैं। और अपना महंगा इलाज कराने को मजबूर है। इलाज के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है।
वही कुछ सरकारी डॉक्टर अपने निजी क्लीनिक खोल कर के बैठे हुए है। मरीजों को पर्सनल अपने क्लीनिक बुलाया जाता है सरकारी अस्पताल से छुट्टी होने के बाद अपने खुद के क्लीनिक पर बैठ जाते हैं। और उनमें मरीजों से मनमाना पैसा वसूला जाता है।सूत्रो के अनुसार कुछ डॉक्टर साहब तो सरकारी अस्पताल से ही अपना कार्ड दे कर के मरीज को अपने पर्सनल क्लीनिक बुलाते हैं। और फिर मरीजों के तीमारदारों की जेब पर डाका डाला जाता है।सूत्रो के हवाले से डॉक्टर के साहब के द्वारा मरीजों को सलाह दी जाती है कि आप अपनी जांच बाहर करवा ले और फिर वह मरीज जांच करवाने के बाद उनके दिए गए कार्ड के हिसाब से उनके क्लीनिक पर पहुंच जाते हैं। फिर लगभग ₹300 उनसे खाली मरीज को देखने की फीस ली जाती है। जबकि डॉक्टर साहब सरकारी अस्पताल में पहले भी उस मरीज को देख चुके हैं। लेकिन उसके बाद भी अगर वह मरीज उनके पर्सनल क्लीनिक पर उनके बुलाने के हिसाब से पहुंच गए तो उनको पहले ₹300 कम से कम देने पड़ेंगे इसके बाद फिर उनका नए सिरे से इलाज किया जाएगा।
अगर आवश्यकता पड़ी तो हो सकता है कि सरकारी अस्पताल से कराई गई जांच व एक्सरे को भी गलत बता दें और फिर उनके बताए गए पते के हिसाब से जांच करवाइए तब जाकर डॉक्टर साहब आप का इलाज करेंगे। डॉक्टर साहब का पेट सरकार के द्वारा दिए गए पैसे तो नहीं भरता है। जब तक गरीब मजदूर लोगों की को खून पसीने की कमाई को लूटा नहीं जाएगा। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की इन पर नजर नहीं जा रही है। या स्वास्थ्य विभाग कुछ करना ही नहीं चाहता?
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही सरकारी डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने को लेकर सख्त हैं, लेकिन यहां सब कुछ स्वास्थ्य विभाग की रजामंदी से चल रहा है। सीएमओ ने सब कुछ जानते हुए भी आंखें बंद कर रखी हैं।