1 नवंबर को मनेगा काला दिवस, 65 साल पहले नेहरू सरकार ने यूपी;एमपी के बीच बांटा था बुंदेलखंड- बन गया सबसे पिछड़ा इलाका
प्रधानमंत्री बुंदेलखंड राज्य बनाकर सुधारें ऐतिहासिक भूल - प्रवीण पाण्डेय
अलग राज्य बनकर ही संभव है बुंदेलखंड का विकास - प्रवीण पाण्डेय
खागा ( फतेहपुर ) : 1 नवंबर को काला दिवस के तौर पर मनाने वाले हैं। इसी दिन साल 1956 में नेहरू सरकार ने बुंदेलखंड को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच बांट दिया था। दो राज्यों के बीच फंस जाने के चलते इस इलाके का कभी विकास नहीं हो सका। इसी लिए बुंदेलखंड राष्ट्र समिति लगातार आंदोलन करता चला आ रहा है। यह लोग 28 बार प्रधानमंत्री को खून से खत लिख चुके हैं। उनकी मांग है कि बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाया जाए। तभी यहां का विकास संभव है।
शहीद दरियाव सिंह स्मारक स्थल पर मनेगा काला दिवस
जिले के खागा नगर स्थिति अमर शहीद दरियाव सिंह स्मारक स्थल पर यह कार्यक्रम 1 नवंबर को होगा। इस दौरान बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के स्वयंसेवक फिर से पीएम को खून से खत लिखकर बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग करेगा। हर साल इस दिन को यह लोग काला दिवस के तौर पर मनाते हैं।
65 साल पहले दो प्रदेशों के बीच फंसा था इलाका
आंदोलनकारी बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने बताया कि नेहरू सरकार में बुंदेलखंड को दो राज्यों के बीच फंसा दिया गया था। जिसका उस वक्त भी किसी जनप्रतिनिधि ने विरोध नहीं किया था। जिसका परिणाम यह हुआ कि यहां पर कोई विकास कार्य नहीं हो सका। यह इलाका पिछड़ता चला गया।
अलग राज्य बनकर ही संभव है बुंदेलखंड का विकास
नेहरू सरकार ने बुंदेलखंड राज्य को बनाए रखने की प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश को भी खारिज कर दिया था। मोदी-योगी सरकार ने इस इलाके के उत्थान के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। मगर इसका कोई खास फायदा नहीं मिल पा रहा है। यहां का विकास तभी संभव है जब बुंदेलखंड को अलग राज्य बना दिया जाए।