सिस्टम ध्वस्त, ख़ूब हो रही जीएसटी की चोरी…!

 सिस्टम ध्वस्त, ख़ूब हो रही जीएसटी की चोरी…!



चौक की सर्राफ़ा मण्डी में चलता है घाघ तन्त्र का तिलिस्म


कच्चा-पक्का की कौन कहे, यहां तो मूल पर साफ़ हो जाता है हाथ…!


नम्बर दो से सौ करोड़ से ज़्यादा का स्टाक, गहरी नींद में जीएसटी तन्त्र…!


गिरोह-गाँठ में भी बड़ा ख़ेल, ज़्यादातर लेन-देन बे-हिसाब…!


बाज़ार में मिलावटी आभूषणों की पहुँची बड़ी खेप…!


इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक व मोबाईल शापो में भी खूब हो रही जीएसटी की चोरी…

             


फ़तेहपुर। बात ऐसी हो कि दूर तक जाये और ख़ेल ऐसा हो कि कानो-कान भनक तक न लगे! मामूली सी कर प्रणाली के ख़िलाफ़ लामबंद होकर महीनों हड़ताल करने वाले सर्राफ़ा कारोबारियों में सालो से घाघ तन्त्र इस क़दर हावी है कि कच्चा-पक्का की कौन कहे, नज़र चूक जाये तो मूल पर हाथ साफ़ हो जाता है…! बड़ी बात यह है कि ज़्यादातर नम्बर दो से आने वाले करोड़ों के ज़ेवरातो पर ज़िम्मेदारो की नज़र कभी टिकी ही नहीं। या यूँ कहें कि जीएसटी तन्त्र ने इन्हें ज़ैसे वाक्-ओवर दे रखा है…!

सूत्रों की मानें तो अनुमानतः ज़िले की सम्पूर्ण सर्राफ़ा मण्डी में इस त्योहारी सीज़न (धनतेरस-दीपावली आदि) के लिये सौ करोड़ से ज़्यादा के सोना-चाँदी व हीरे के ज़ेवरात तथा गिन्नी (सोना)-रुपया (चाँदी) का स्टाक किया गया है। इनमें से ज़्यादातर नम्बर दो (कर चोरी) से मंगाया गया है। फ़तेहपुर समेत खागा और बिंदकी की मण्डी के साथ-साथ कुछ क्षेत्रीय सर्राफ़ा व्यवसायियों ने ऐसा पहली बार नहीं किया है, पूर्व के वर्षों में भी त्योहारी सीज़न में यह धमाल होता रहा है। यह अलग बात है कि इस बार रेडीमेड ज़ेवरातो की बड़ी खेप इन मंडियो में पहुँची है…!

अकेले चौंक (फ़तेहपुर) की अतिचर्चित सर्राफ़ा मण्डी के नौ ख़ास व्यापारियों द्वारा पिछले पाच दिनों में अकेले बत्तीस से चालीस किलो तक सोने के ज़ेवरातो का स्टाक किये ज़ाने की ख़बर है…! इसकें अलावा बड़ी तादात में चाँदी का माल भी पहुँचा है। अकेले दस हज़ार के क़रीब चाँदी के पुराने रुपयों की खेप स्थानीय मण्डी में पहुँचने की बात कही जा रही है, इसके अलावा काफ़ी संख्या में गिन्नियाँ (सोना) भी मंगाई गई हैं…!

क्योंकि ज़िले के ज़्यादातर सर्राफ़ा कारोबारियों की फ़ितरत कर चोरी की रही है और शायद इसीलिये पक्का पर्चा से दूरी बना कच्चा पर्चा ही ग्राहकों को थमाते रहे हैं…! मामूली व्यावसायिक फ़ायदे के लिये राजस्व को तगड़ा नुक़सान पहुँचाना इनकी फ़ितरत में रहा है, यह क्रम अभी भी जारी है जिसमें जीएसटी तन्त्र की संदिग्ध भूमिका की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है…!

एक अन्य जानकारी के अनुसार इस बार अगर आप सोने के आभूषण ख़रीदने के इच्छुक है तो जॉच-परख के ही जेब ख़ाली करना। सूत्रों के अनुसार बड़ी संख्या में मिलावटी रेडीमेड माल बिकने को तैयार है, इसलिये बेहतर होगा कि परख के और पक्के पर्चे में ही ख़रीददारीं की सलाह जानकार दे रहे हैं…!

इन सर्राफ़ा मंडियो में गिरोह-गाँठ का काम भी एक बड़ा व्यवसाय क़हा जा सकता है। डिजिटल युग में निःसंदेह इस काम में कमी आई है किन्तु आज भी इस मद में सोनार साल में दसियो करोड़ का काम करते है। मूलतः रेट तो दो फ़ीसदी मासिक ब्याज़ का बताते हैं किन्तु एक निश्चित समय के बाद ब्याज के भी मूल में जुड़ जाने की परम्परा से यह चार से पाच फ़ीसदी मासिक या उससे ज़्यादा का आँकड़ा पार कर जाता है और बीस से पच्चीस फ़ीसदी लोग धनाभाव के चलते गिरवी रखा अपना सामान नहीं छुड़ा पाते है, ज़ो कुछ समय के बाद सोनार का हो जाता है। इसमें में भी बड़ा ख़ेल होता है। ज़्यादातर लेन-देन बे-हिसाब होता है। कुछ का साहूकारी में पंजीकरण है किन्तु उनमें भी ज़्यादातर नम्बर दो से ही लेन-देन करते है…!

इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रिक शाप में भी हो रही है जीएसटी की चोरी…!

आधुनिक चकाचौंध में हर कोई दूसरे से आगे निकलने और अच्छा से अच्छा शौक़ करना चाहता है। ऐसे में जनपद इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इलेक्ट्रिक बाज़ार का महत्व बढ़ जाता है। जनपद में इस बाज़ार का भी सालाना टर्नओवर दसियो करोड़ का माना जाता है। चकाचौंध करते इन शोरूमों में भी कर चोरी (जीएसटी) के मामले प्रायः चर्चा में रहे हैं…! बड़ी बात यह है कि फ़तेहपुर, बिंदकी व खागा तहसील के शहरी व ग्रामीण अंचल में कहीं पर पर जीएसटी तन्त्र ने नज़र नहीं गड़ाई या यूँ कहें कि जिम्मेदारों की नज़रे इनायत रही हैं…! इतना ही नहीं बाज़ार में ब्राण्डेड कंपनियों के नाम से “डी” माल भी भरा पड़ा है…! भरोसेमन्द सूत्रों के अनुसार फ़तेहपुर शहर के चौक-स्टेशन रोड पर तकिया चाँदशाह इलाक़े से पनी मोहल्ले तक डेढ़ दर्ज़न से अधिक दुकाने “डी” माल से कुछ ज़्यादा ही गुलज़ार हैं…!


मोबाईल शापो में तो लूट मची है 

 

डिजिटल युग में हर कोई आन लाइन होना चाहता है। ऐसे में मोबाईल एक बड़ा ज़रिया है। इस जनपद में मोबाईल व उससे जुड़ी एसेसिरीज़ का सालाना टर्नओवर नौ अंकों को छूने के क़रीब है…! मोबाईल में चाहकर भी जीएसटी चोरी की स्थिति नहीं बनती किन्तु कुछ बड़े ब्राण्ड का “डी” माल खपाकर तगड़ा मुनाफ़ा कमाया जा रहा है…! वहीं एसेसिरीज़ में तगड़ा घालमेल है, जिससे तो ईंतेहा ही पार हो गई हैं…!। शहर के कुछ चर्चित मोबाईल शापो में अकेले न्यू किसान (पीलू तले), हैलो (पनी मोहल्ला और खालसा (कलेक्टरगंज व रेल बाज़ार) आदि का एसेसिरीज़ से जुड़ा सालाना टर्नओवर करोड़ों में है और पूरा का पूरा नम्बर दो का…! अकेले मोबाईल की एसेसिरीज़ में इन शापो के संचालकों द्वारा कई करोड़ का सालाना राजस्व मारे जाने की सम्भावनाओ से इनकार नहीं किया जा सकता है…!कुल मिलाकर बड़े व्यापार की मंडियो में टैक्स चोरी की फ़ितरत आम हो गई है, अब छोटे व्यापारियों में भी इस ओर कदम तेज़ बढ़ाने की होड़ है, उनका मानना है कि जब घाघतन्त्र से सिस्टम सेट है तो हम भी सेटिंग कर ही लेंगे। उधर इस सन्दर्भ में जीएसटी व्यवस्था से जुड़े किसी भी ज़िम्मेदार ने कुछ भी कहने से किया है।

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