मौसम पूर्वानुमान ( वैधता: दिनांक 11 जनवरी, 2023 से 15 जनवरी, 2023 तक)

 मौसम पूर्वानुमान ( वैधता: दिनांक 11 जनवरी, 2023 से 15 जनवरी, 2023 तक)



न्यूज़।भारत मौसम विज्ञान विभाग की ओर से फतेहपुर जिले में अगले 5 दिनों के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक दिनांक 13 जनवरी को हल्के बादल छाए रहने की संभावना रहेंगी इसके अलावा बाकि दिनों में मौसम साफ रहेगा जिसके कारण बारिश की कोई संभावना नहीं रहेंगी। दिनांक 11 से 12 जनवरी तक कोहरा, कड़ाके की ठंड और शीतलहर जारी रहेगी। अधिकतम तापमान 16.0 से 23.0 डिग्री सेंटीग्रेड जबकि न्यूनतम तापमान 6.0 से 9.0 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहेगा। हवा की दिशा ज्यादातर उत्तर पश्चिमी से दक्षिण पूर्वी होगी और गति सामान्य बने रहने की संभावना है।

अतः किसानों को सलाह दी जाती है कि वे रबी में बोई जाने वाली फसलों एवं सब्जियों की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। फसलों को ठंड से बचाने के लिए हल्की और बार-बार सिंचाई करें। रात में खरपतवार और फसल के अवशेषों को उत्तर पश्चिमी दिशा में जलाकर खेत के ऊपर एक धुएं की परत बनाएं। बदलते मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे रात और सुबह गर्म कपड़े पहनकर, अलाव जलाएं और रात में जानवरों के ऊपर जूट की बोरियां डाल दें और रात में जानवरों को खुले में न बांधें।


*फ़सल संबंधित सलाह*


• समय से बोई गई गेहूं की फसल में दूसरी सिंचाई कल्ले निकलते समय 40-45 दिन पर करें। पछेती गेहूँ की फसल में पहली सिंचाई बुआई के 17-18 दिन बाद तथा शेष सिंचाई के लिए 15-20 दिन के अन्तराल पर हल्की सिंचाई करनी चाहिए। गेहूँ की फसल में सकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले दोनों प्रकार के खरपतवार दिखाई देते हैं तो सल्फोसल्फ्यूरान 75% WP 33 ग्राम/हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर 500-600 लीटर पानी या मेट्रिबजिन 70% WP 250 ग्राम/हे. का घोल बनाकर छिड़काव करें।


• मटर की फसल में पहली सिंचाई फूल बनते समय तथा दूसरी सिंचाई दाना भरते समय करनी चाहिए। मटर की फसल में तना मक्खी एवं पत्ती पलवार का प्रकोप होने की सम्भावना होती है अतः इममैक्टिन बेंजोएट 5% एस0जी0 200 ग्राम/हे0 की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।


• यदि समय से बोई गई चने की फसल 15-20 सेंटीमीटर तक पहुंच गई हो तो फसल की खुटाई अवश्य करें। चने की फसल में कटुआ (कटवर्म कीट) के प्रकोप की संभावना होती है, इसके रोकथाम के लिए क्लोरपाइरीफॉस 50% ईसी + स्पर्ममेथ्रिन 5% ईसी 2.0 लीटर/हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाता है। चने की फसल में निराई-गुड़ाई बुआई के 30-35 दिन बाद करनी चाहिए।


• सरसों की फसल में दूसरी सिंचाई फूल आने से पहले बुवाई के 55-65 दिन बाद करें। सरसों की फसल में चूरा एवं बालों वाली सुंडी का प्रकोप होने की संभावना रहती है, अत: इसकी रोकथाम के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी 200 ग्राम/हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।


• यदि मौसम में बादल छाये हों तथा तापमान 10-20 डिग्री सेन्टीग्रेड के बीच हो तथा सापेक्षिक आर्द्रता 80 प्रतिशत हो तो आलू की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप तेजी से फैलता है तो सिंचाई तुरंत बंद कर दें, यदि आवश्यक हो तो बहुत हल्की सिंचाई करें और प्रकोप देखने को मिल रहा है। मेंकोजेब 2.0 ग्राम/लीटर घोल देने पर पानी डालें और 8-10 दिनों के अंतराल पर इसका छिड़काव करें। आलू की फसल में 12-15 दिन के अन्तराल पर हल्की सिंचाई करें।


•प्याज की नर्सरी में डैम्पिंग ऑफ (आर्द्र सड़न) रोग देखने को मिलता है, इसकी रोकथाम के लिए थायरम 2.5 ग्राम या मैकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। प्याज की संस्तुति प्रजातियों- कल्याणपुर रेड गोल, पूसा रतनार, एग्रीफाउंड लाइट रेड, एक्स केलीवर, बरगंडी, केपी, ओरिएंट, रोजी आदि मे से किसी एक प्रजाति की नर्सरी डालें।


•समय पर बोई गई सब्जियों की आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई एवं सिंचाई करनी चाहिए। टमाटर की फसल में पछेती झुलसा एवं जीवाणु झुलसा रोग फैलने पर 30 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड एवं 1 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यदि सब्जी की फसल में फल छेदक/पत्ती छेदक कीट का प्रकोप दिखाई दे तो इसके नियंत्रण के लिए नीम के तेल को 1.5 मिली/लीटर पानी में घोल बनाकर 8-10 दिन के अंतराल पर 3-4 छिड़काव करें।


*पशुपलन*


•वर्तमान मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए सुबह-शाम पशुओं के ऊपर झूल डालें, पशुओं को रात के समय खुले में न बांधे और रात को खिड़कियों व दरवाजों पर जूट बोरे के पर्दे लगाएं और दिन में धूप में हटा दें। पशुओं को हरे व सूखे चारे के साथ पर्याप्त मात्रा में अनाज दें। पशुओं को दिन में 3-4 बार ताजा और शुद्ध पानी जरूर पिलाएं। पशुओं को साफ-सुथरी जगह पर रखें।


वसीम खान 

विषय वस्तु विशेषज्ञ

कृषि मौसम विज्ञान

कृषि विज्ञान केंद्र, फतेहपुर

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