24 बटुकों का हुआ यगोपवीत संस्कार

 24 बटुकों का हुआ यगोपवीत संस्कार



मुसाफा में हुआ सामूहिक यगोपवीत संस्कार


रुद्र महायज्ञ में हुआ बटुकों का यगोपवीत संस्कार


रुद्र यज्ञ में चल रहा निरंतर भंडार


रुद्र महायग में उमड़ा भक्तों का सैलाब


सातवें दिन में कंस वध की लीला का हुआ मंचन


बिंदकी (फतेहपुर)।देवमई ब्लाक के मुसाफा ग्राम में 40वें वर्ष हो रही विशाल रुद्र महायज्ञ एवं रासलीला में बाबा बूढ़ेनाथ स्वामी मंदिर में बढ़ रही लोगो की आस्था का जन सैलाब उमड़ रहा है । दिन की शुरुआत भक्तों द्वारा यज्ञ मंडप की परिक्रमा एवं रूद्राभिषेक से हो रही है । 

बुधवार को रुद्र महायज्ञ में 24 बटुकों का सामुहिक यगोपवीत संस्कार हुआ । दूर दूर से आये बटुकों ने यज्ञ में जनेऊ धारण किया । 

जिसमें कई जिले के विभिन्न स्थानों से पहुंचे 24 बटुक

अजय मिश्रा बरिगंवा,शिवम मिश्रा कुवरंपुर,दीपांशु तिवारी  दिल्ली,मनीष दुवेदी बकेवर ,धीरज पाण्डेय परसदेपुर,शशांक मिश्रा बरीगंवा,अक्षय मिश्रा नसेनिया,अकिंत तिवारी सनीगंवा कानपुर,विकास तिवारी  मुसाफा, विकास दुबे देवमयी,राहुल दुबे  डुंडार,अकिंत अग्निहोत्री दुबेपुर,सतीश पाण्डेय मेऊना,सोनेलाल नामामऊ,रविशंकर तिवारी  मुसाफा,शिवम मिश्रा सलेमपुर,अजय तिवारी मेउना ,विनय कुमार पाण्डे  कान्धी,अभिषेक मेवली,अजीत मिश्रा -कुड़नी कानपुर,अभिषेक तिवारी बगाहा,अर्जुन पाण्डे बगाहा,श्याम भरपुरवा,श्रषभ मिश्रा निबिया खेड़ा बटूकों को सामूहिक यज्ञोपवित उपनयन संस्कार संपन्न हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार व अनुष्ठान के संपन्न होने के साथ 24 बटुकों को यज्ञोपवीत संस्कार के तहत जनेऊ धारण कराया गया। काशी प्रस्थान की परंपरा निभाने के तहत इन सभी बटुकों ने गुरु के आदेश पर वही शिक्षा ग्रहण करने का संकल्प लिया।

पांच आचार्यो द्वारा वैदिक मंत्रों के साथ सम्पन्न कराया गया यगोपवीत संस्कार। 

आचार्य मोहित मिश्रा मुख्य यज्ञाचार्य,आचार्य देवा पांडेय, आचार्य गौरव दुबे, आचार्य आदित्य,आचार्य सतीश 

वैदिक धर्म में यज्ञोपवीत दशम संस्कार है। इस संस्कार में बटुक को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। यज्ञोपवीत का अर्थ है यज्ञ के समीप या गुरु के समीप आना। यज्ञोपवीत एक तरह से बालक को यज्ञ करने का अधिकार देता है। शिक्षा ग्रहण करने के पहले यानी, गुरु के आश्रम में भेजने से पहले बच्चे का यज्ञोपवीत किया जाता था। 

भिक्षाटन कर बटुकों ने किया गुरु को अर्पण 

यज्ञोपवीत संस्कार से पूर्व बटुकों का मुंडन करवाया गया। बाद में विधि-विधान से भगवान गणेश सहित देवताओं का पूजन, यज्ञवेदी एवं बटुकों को अधोवस्त्र के साथ माला पहनाकर बैठाया गया। इसके बाद विनियोग मंत्र ब्रह्मचर्य के पालन की शिक्षा के साथ विभिन्न धार्मिक आयोजन संपन्न हुए। गायत्री मंत्र की दीक्षा देने के बाद बटुकों ने भिक्षा लेकर गुरु को अर्पण की। इसके बाद गुरु ने उनके कानों में गुरु मंत्र दिया। बाबा बूढ़ेनाथ रुद्र महायज्ञ में दरबार मे निरन्तर भंडारा चल रहा है । 

 वृंदावन से पधारे रासलीला मंडली के मुखिया ब्रज प्रसिद्ध रासाचार्य स्वामी भावेश कृष्ण भारद्वाज के कलाकारों द्वारा सातवें दिन का कंस वध लीला का  मंचन किया गया । 

कंस अपने मल्ल योद्धाओं को मरता हुआ देख कंस ने कृष्ण जी पर हमला बोला, तब कृष्ण जी ने मंच पर बैठे कंस के केश पकड़कर घसीटते हुए नीचे लाकर जमीन पर पटक दिया, जिससे कंस की मौत हो गई। इस दौरान कमेटी के पदाधिकारी अमित तिवारी,शुभम अवस्थी, गौरव शुक्ला,वीरेंद्र सिंह,शिवा शुक्ला,दीपक,मोहित,सुशील,आशीष,संजय तिवारी,निकेतन,मोहन,हर्षितप्रशांत,सहित आदि लोग मौजूद रहे ।

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