डाक विभाग के बड़े गड़बड़ झाले की शिकायत वित्त मंत्री से

 डाक विभाग के बड़े गड़बड़ झाले की शिकायत वित्त मंत्री से



फतेहपुर मण्डल में एक दिन एक करोड़ खाता अभियान में हुआ बड़ा खेल, खोले गए थे 13 हजार खाते


सीआईएफ आईडी का हुआ व्यापक दुरुपयोग, बाजीगरी से लक्ष्य प्राप्ति दिखा हासिल किया देश में 23वां स्थान, खुली पोल तो मचा हडकंप


वित्त मंत्रालय से वार्षिक कमीशन स्वरूप 2938000 रुपए भी डकारे, स्थाई प्रोन्नति के लिए फर्जी कहानी गढ़ने का आरोप

                     

फतेहपुर। डाक विभाग की सीआईएफ आईडी यानी ग्राहक सूचना फोलियो सेवा का एक दिन एक करोड़ खाता अभियान में बड़े पैमाने पर दुरुपयोग होने का मामला प्रकाश में आया है। यह विशेष अभियान भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की अति महत्वाकांक्षी योजना से संबंधित था, जिसे देश भर में "डाक विभाग" के जरिए संचालित किया जाता है, जिसमें प्रत्येक खाता खोलने पर विभाग को बतौर कमीशन दो सौ छब्बीस रूपए वार्षिक कमीशन के रूप में भी मिलते हैं, बावजूद इसके इस बड़ी योजना के संचालन में बड़ा खेल होने का मामला प्रकाश में आया है। एक स्वयं सेवी संस्था द्वारा संबंधित मंत्रालय को भेजी गई शिकायत में इस बाबत गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जिसमें स्थानीय डाक अधीक्षक अतुल कुमार और पोस्ट मास्टर जनरल को आरोपित किया गया हैं।

गौरतलब है कि डाक विभाग पर अति महत्वाकांक्षी योजनाओ के संचालन में पहले भी हीला हावली बरतने के आरोप लगाए जाते रहे है किन्तु ऊपरी अधिकारियों द्वारा संबंधित मसलो पर गंभीर न होने से अधिकांश मामले ठंडे बस्ते में जाते रहे हैं, नतीजतन सीआईएफ आईडी के जरिए एक दिन एक करोड़ खाता अभियान जैसी बड़ी योजना का बेड़ा गर्क कराने में भी सिस्टम से जुड़े जिम्मेदारों ने कोई कोताही नहीं बरती...! मामला चर्चा में आने के बाद सिस्टम के जिम्मेदारों में हड़कंप मच गया है और अब वह अपने बचाव के रास्ते ढूढने लगे हैं! साथ ही शिकायतकर्ताओ और अधीनस्थो को धमकाने का सिलसिला भी चल पड़ा हैं...!

तक़रीबन बारह बिंदुओं पर आधारित इस शिकायती पत्र में कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसमें बताया गया है कि एक ही सीआईएफ आईडी से एक ही व्यक्ति के नाम न्यूनतम मूल्य वर्ग के गुणांक में एक से अधिक खाते खोलकर फर्जी ढंग से लक्ष्य पूर्ति दिखाई गई है। इसे अस्थाई प्रोन्नति प्राप्त अतुल कुमार डाक अधीक्षक फतेहपुर मंडल द्वारा फर्जी लक्ष्य पूर्ति प्राप्ति का बड़ा कारनामा बताया गया है। इस खेल का एक उद्देश्य वित्त मंत्रालय से दो सौ छब्बीस रूपए प्रति खाता प्रतिवर्ष प्राप्त करना भी है।

ज्ञातव्य रहे कि विगत 28 जनवरी से 31 जनवरी तक चले इस मद में विशेष मिशन के तहत एक दिन एक करोड़ खाता अभियान के तहत् मंडल में लक्ष्य उद्देश्य पूर्ण वाहवाही के चक्कर में लक्ष्य से कहीं अधिक खोले गए सत्तर फीसदी खातों में अब लेन देन न होने के सबूत शिकायतीपत्र में दिए गए हैं। विशेषतः आवर्ती जमा के खातों में तो अगली किश्त तक जमा नहीं की गई जो अगले तीन माह बाद निष्क्रिय हो जायेंगे! ऐसे खातों की संख्या अकेले फतेहपुर मण्डल में 13 हज़ार है, जिसका कमीशन 226 रूपए प्रति खाता की दर से वित्त मंत्रालय द्वारा स्थानीय मण्डल को 29 लाख 38 हज़ार रुपए भुगतान होने की बात कही गई है। यह कहना कतई गलत ना होगा कि उपरोक्त फर्जी तंत्र के माध्यम से डाक अधीक्षक ने वित्त मंत्रालय को धोखा देकर फर्जी लक्ष्य प्राप्ति हेतु गुमराह कर केंद्र सरकार की सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय सुरक्षा एवं पोषण तथा प्रत्येक व्यक्ति को बैंकिंग सेवा से जोड़ने एवं लाभान्वित करने की मंशा को धरातल में उतरने में बाधा पहुंचाई है। साथ ही ऐसे फर्जी लक्ष्य की प्राप्ति वित्त विभाग के धन आवक के आंदोलन को नकारात्मक रूप से न सिर्फ प्रभावित करती है, बल्कि भविष्य में धन आवंटन एवं वित्त आपूर्ति भी प्रभावित होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।

यहां पर यह बता देना भी ज़रूरी है कि उत्तर प्रदेश परिमंडल के लगभग सबसे छोटे डाक मंडल फतेहपुर के अखिल भारतीय स्तर में 23वां स्थान प्राप्त करने पर इस बड़े गड़बड़ झाले पर ध्यानाकर्षण हुआ। यह भी आरोप है कि अस्थाई अधीक्षक डाकघर अतुल कुमार ने झूठी श्रेष्ठता प्रदर्शित कर स्थाई प्रोन्नति प्राप्त करने के लिए फर्जी लक्ष्य की प्राप्ति की कहानी गढ़ी! फतेहपुर मंडल के शाखा डाकपालों पर दबाव डालकर प्रति शाखा डाकघर 50 खाते खुलवाए गए जो अधिकांश शाखा डाक कर्मी या उनके परिजनों के नाम ही एक दिन के अंदर खोले गए हैं जो अब लगभग सभी निष्क्रिय हैं! इस प्रकार निरीह, अल्पवेतन भोगी, अस्थाई ग्रामीण डाकसेवकों का शोषण कर संबंधित अधिकारी द्वारा अपनी प्रोन्नति की नींव मजबूत किए जाने का आरोप है।

यह भी आरोप है कि जिन दिवसों में इस विशेष अभियान को मूर्त रुप दिया जाना था, उस समय जब ग्रामीण डाक सेवकों के शोषण के बाद भी जब लक्ष्य पूर्ति संभव नहीं हो पा रही थी तो अधीक्षक ने स्थायी कर्मचारियों पर दबाव बनाकर एक ही सीआईएफ आईडी पर न्यूनतम मूल्य वर्ग के गुणांक में खाते खुलवाए।शिकायतीपत्र में फतेहपुर मण्डल के प्रधान डाकघर, उप डाकघर एवं शाखा डाकघरों के विगत 28 जनवरी से 31 जनवरी तक के अभिलेखों की छाया प्रति संलग्न करते हुए आरोपों की पुष्टि का दावा किया गया है! साथ ही बताया गया है कि प्रोन्नति के लिए मातहत कर्मचारियों का शोषण एवं उत्पीड़न का यह पहला प्रकरण नहीं है, कानपुर रीजन पूर्व से ही ऐसे कृत्यों के लिए चर्चा में रहा है। फतेहपुर मंडल कानपुर पोस्टल रीजन के अंतर्गत आता है और कुछ अर्से पूर्व कानपुर रीजन के पोस्ट मास्टर जनरल के पद पर 2011 एवं 2012 में कार्यरत रहे रामभरोसा ने भी इसी प्रकार फर्जी लक्ष्य प्राप्त की थी और उन पर विभागीय कार्यवाही स्वरूप प्रतिकूल प्रविष्टि प्रदान की गई थी। यह अलग बात है कि जिस स्तर का अपराध उनके द्वारा किया गया वह पकड़ में आने के बाद की गई कार्यवाही अपेक्षाकृत हल्की थी, बावजूद इसके अहमदाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर उच्चाधिकारियों पर जब ऊंगली उठी तो आनन फानन में रामभरोसा की प्रोन्नति रोक दी गई थी।

कुल मिलाकर कानपुर रीजन के अंतर्गत आने वाले फतेहपुर मण्डल में एक बार फिर भ्रष्टाचार का इतिहास दोहराया गया है। देखना यह होगा कि विभाग गंभीरता दिखाते हुए कोई प्रभावी कार्यवाही करता है कि नहीं। इस सन्दर्भ में जब डाक अधीक्षक अतुल कुमार से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो वह उपलब्ध नहीं हुए। वही पोस्ट मास्टर जनरल भी दूरभाष पर उपलब्ध नहीं हुए।

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