स्कूलों में दोपहर भोजन के बाद खिलाई जाएगी
बच्चों को फाइलेरिया से बचाव की दवा
स्वास्थ्य विभाग की टीम अपने सामने खिलाएगी दवा
खाली पेट नहीं खाई जाती फाइलेरिया से बचाव की दवा
फतेहपुर। सभी स्कूलों के बच्चों को फाइलेरिया की दवा मिड-डे-मील (मध्यान्ह भोजन) के
बाद खिलाई जाएगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि फाइलेरिया की
दवा किसी को भी खाली पेट नहीं खिलाई जानी है, इसलिए स्कूलों में बच्चों को भोजन के बाद विभाग की टीम
अपने सामने दवा खिलाएगी। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में शामिल सभी स्वास्थ्य टीमों को इसके निर्देश दिए
जा चुके हैं।
सीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया की दवा खाने से तबीयत बिगड़े तो बिल्कुल न घबराएं। दवा खाने से
आमतौर पर उन्हीं लोगों को तकलीफ महसूस होती है जिनके शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद होते हैं।
दवा के प्रभाव से परजीवी खत्म होते हैं तो पेट और सिर में दर्द ,उल्टी या चक्कर आने जैसे लक्षण सामने आ सकते
हैं इसका सीधा अर्थ होता है कि दवा काम कर रही है। ऐसे लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत खुली हवा में लिटा
दें और थोड़ा-थोड़ा पानी पिलाते रहें।
इनको नहीं खिलाई जाएगी दवा
एक वर्ष से कम आयु के बच्चों को, गर्भवतियों को और अत्यंत बीमार लोगों को फाइलेरिया की दवा का सेवन नहीं
कराया जाएगा।
10 अगस्त से शुरू होगा दवा खिलाने का अभियान
10 से 28 अगस्त तक फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाया।
जाएगा। इस दौरान आशा, आशा संगिनी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर सभी को
फाइलेरिया रोकथाम की दवा का सेवन कराया जाएगा। इस काम में पूरे जिले में 2375 टीम और 451
सुपरवाइजर सहयोग करेंगे।
ऐसे होता है फाइलेरिया
सीएमओ के मुताबिक फाइलेरिया रोग क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। इस मच्छर के काटने से शरीर में
वुचेरेरिया ब्रैन्क्रा माइक्रोफाइलेरिया प्रवेश कर जाता है। रोग का लक्षण सामने आने में छह से 10 वर्ष तक का
समय लग जाता है। आमतौर पर इस रोग का इलाज नहीं हो पाता है इसलिए इससे बचाव बेहद जरूरी है।
यह हैं फाइलेरिया के लक्षण
फाइलेरिया ग्रसित लोगों में सामान्यता शुरुआती कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। स्टेज बढ़ने पर रोगी के हाथ, पैर
अंडकोष और महिलाओं के स्तन में सूजन हो जाती हैं। पेशाब में सफेद रंग का द्रव्य आना और लंबे समय तक
सूखी खांसी रहना भी इसी रोग के लक्षण हैं।