कांधी को फाइलेरिया मुक्त बनाने का ग्रामीणों ने लिया संकल्प

 कांधी को फाइलेरिया मुक्त बनाने का ग्रामीणों ने लिया संकल्प



दस अगस्त से  प्रस्तावित आईडीए राउंड में लोगों को दवा खिलाने  के लिए करेंगे प्रेरित


दवा खाने के बाद उल्टी ,चक्कर आना, बुखार  या सिर में दर्द जैसे लक्षण  दिखेंगे तो मिलेगा बधाई का संदेश


फतेहपुर। तेलियानी विकास खंड के कांधी गांव में गठित फाइलेरिया मरीज सहायता समूह (पीएसजी) नेटवर्क का असर   नजर आने लगा है।  इसमें शामिल फाइलेरिया रोगियों को स्वास्थ्य विभाग के अलावा पाथ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था द्वारा   बचाव और प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया गया ।  इसके बाद  यह लोग स्वयंसेवक के रूप में गांव के दूसरे लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने में जुट गये हैं। 

ग्राम कांधी में  स्वयंसेवक प्रशिक्षण का आयोजन प्राथमिक विद्यालय   बीते दिनों किया गया, जिसमें 22 लोगों ने प्रतिभाग किया । इनमें  3 पीएसजी मेंबर, 12 कम्युनिटी  वालंटियर और आंगनवाड़ी, आशा व सीएचओ तथा   शिक्षकगण ने  प्रतिभाग किया । ट्रेनिंग के दौरान 10 अगस्त से चलने वाले  आईडीए प्रोग्राम के बारे में विस्तार से बताया गया। जानकारी दी गई कि यदि दवा खाने के बाद किसी को उल्टी ,चक्कर आना, बुखार या सिर में दर्द होता है तो वह उसके लिए बधाई का संदेश होगा । ऐसा होने का आशय है कि  संबंधित लाभार्थी के अंदर माइक्रो फाइलेरिया था और दवा खाने से उसके कीड़े खत्म हो गए। सभी को आईडीए प्रोग्राम के दौरान आशा कार्यकर्ता का सहयोग करने के लिए भी प्रेरित किया गया।

सम्मिलित प्रयासों का असर यह हुआ कि कांधी गांव के ग्रामीणों ने अब अपने गांव को फाइलेरिया मुक्त करने का संकल्प ले लिया है। यह ग्रामीण ग्राम सभाओं की बैठकों, कोटे की दुकान, स्कूलों में जाकर एवं सार्वजनिक स्थलों  के अलावा घर-घर जाकर  लोगों को बता रहे हैं कि फाइलेरिया (हाथी पांव)  एक लाइलाज बीमारी है,  लेकिन प्रबन्धन के जरिये इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।   इस बीमारी से बचना है तो साल में एक बार लगातार तीन साल तक   सर्वजन दवा सेवन अभियान के तहत दवा खाना जरूरी है। यह अभियान जिले में 10 अगस्त से प्रस्तावित है।  

कांधी गांव के पीएसजी मेंबर अमरनाथ बताते हैं कि उन्हे सात  वर्षों से फाइलेरिया है। वह जब गांव के लक्ष्मी नारायण फाइलेरिया रोगी सहायता समूह से जुड़ें तो इस बीमारी के बारे में तमाम जानकारियां मिल सकीं।  समूह में बीमारी के बारे में होने वाली चर्चा को वह घर आकर बताते थें। इसके बाद  उन्हें और जानकारी प्राप्त करने की इच्छा हुई और  वह समूह की बैठकों में जाने लगे। वह बताते हैं-अब मैं अपने दोस्तों के साथ जब भी बैठता हूं तो फाइलेरिया  के बारे में चर्चा करता हूं साथ ही लोगों को बताता हूं कि 10 से 28 अगस्त तक फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी और इसे हर किसी को खाना है। 

इसी गांव के राकेश वर्मा कहते हैं कि ट्रेनिंग में फाइलेरिया पर हो रही चर्चा को सुना  तो तमाम नई जानकारियां  पता चलीं। आगामी दस अगस्त से जब फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने का अभियान चलाया जाएगा तो  वह भी स्वास्थ्य विभाग का पूरी तरह से सहयोग कर लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रेरित  करेंगे। इसी गांव की नसरीना का कहना है कि  उन्हें पता चला है कि 10 से 28 अगस्त तक स्वास्थ्य विभाग की  टीम घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवाएं खिलाएंगी। स्वास्थ्य विभाग के इस अभियान में   शामिल होकर लोगों को इस बीमारी की गंभीरता बताते हुए उनसे फाइलेरियारोधी दवा खाने  के लिए प्रेरित करेंगी।

इनसेट -

कांधी गांव में फाइलेरिया रोगी - 55

पीएसजी ग्रुप- श्रीराधा कृष्ण फाइलेरिया सहायता समूह, लक्ष्मी नारायण फाइलेरिया सहायता समूह, महात्मा गांधी फाइलेरिया सहायता समूह।

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