पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण कर ग्राम पंचायत की वार्षिक विकास योजना निर्माण प्रारम्भ
पंचायती  राज संस्थाओं के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों  का  स्थानीयकरण कर  ग्राम पंचायत की वार्षिक विकास योजना निर्माण प्रारम्भ
फतेहपुर।जिलाधिकारी  के निर्देशानुसार जिला पंचायती राज अधिकारी उपेन्द्रराज सिंह के नेतृत्व में जनपद की 840 ग्राम पंचायतों में 02 अक्टूबर 2023 से वर्ष  2024 -25 की सहभागी वार्षिक  विकास कार्य योजना का निर्माण प्रारम्भ हो चुका है।  जिसमें 29 जनवरी 2024 तक ग्रामपंचायत स्तर पर (जी पी डी पी )  , 29  फरवरी तक क्षेत्रीय विकास योजना (बी पी डी पी ) व 31 मार्च 2023 तक जिला पंचायत विकास योजना निर्माण को पूर्ण करने का  लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके लिए जनपद फतेहपुर में कार्यरत वैन लीर फाउंडेशन के जिला कार्यक्रम समनवयक अनुभव गर्ग एवं पीरामल फाउंडेशन के जिला कार्यक्रम समन्वयक अनवर हुसैन खान द्वारा ग्राम पंचायत बिलंदपुर की  सरपंच  रेखादेवी  एवं  ग्राम विकास अधिकारी अरविन्द अवस्थी के नेतृत्व में ग्राम पंचायत कार्यालय में समस्त विभागों  स्वास्थ्य ,शिक्षा , बाल विकास आदि के सहयोग बैठक का आयोजन किया गया साथ ही ग्राम पंचायत सनगांव में ग्राम प्रधान इफ्तेखार खान की अध्यक्षता में ग्राम विकास अधिकारी अरविन्द पटैल के सह नेतृत्व में समस्त वार्ड पंचों व समस्त विभागों  स्वास्थ्य ,शिक्षा , बाल विकास आदि के सहयोग बैठक का आयोजन कर सबकी योजना सबका विकास अंतर्गत आदर्श ग्राम पंचायत बनाने हेतु चर्चा की गई ।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंचायतीराज विभाग  रमाकांत द्वारा बताया गया की  भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय ने सतत् विकास लक्ष्यों के लिए विषयगत दृष्टिकोण अपनाया है। यह 'वैश्विक योजना' प्राप्त करने के लिए 'स्थानीय कार्रवाई' सुनिश्चित करने वाला दृष्टिकोण है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य पंचायतीराज  संस्थाओं द्वारा  17 'लक्ष्यों' को '9 विषयों' में जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में सतत् विकास लक्ष्यों को स्थानीय बनाना है। उचित नीतिगत निर्णयों और संशोधनों के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) और ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) के दिशानिर्देशों में सुधार हुआ है, जो ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण की प्रक्रिया को सुचारू बनाते हैं। सुशासन का सेवा वितरण और प्रगति से सीधा संबंध है। सुशासन के लिए टीमवर्क प्रौद्योगिकी, समयसीमा, पारदर्शिता और परिवर्तन के 5टी स्तंभ फ्रेमवर्क आवश्यक हैं। जिसके लिए विभाग द्वारा  ज़िले में कार्यरत समस्त विकास भागीदार संस्थाओं का ग्रामीण स्तर पर ग्राम पंचायत की वार्षिक कार्य योजना निर्माण में सहयोग लिया जा रहा है | 
इसी तारतम्य में खंड विकास अधिकारी तेलियानी राहुल मिश्रा के नेतृत्व में व सहायक विकास अधिकारी योगेंद्र सिंह द्वारा विशेष ग्राम पंचायतों का चयन कर ग्राम पंचायत स्तर पर मॉडल डेवेलपमेंट प्लान  बना कर अन्य समस्त ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षित करने का कार्य किया जा रहा है  सभी नागरिक सेवाओं को समय पर उचित और पारदर्शी विधि से लोगों की सेवा करने की ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी पर केंद्रित है। विकास खंड तेलियानी में पंचायतों के विकास कार्यों एवं पंचायती राज संस्थानों के सदस्यों की सक्रीय भागीदारी को देखते हुए  ऐसी 10 ग्राम पंचायतों बिलंदपुर ,जखनी , त्रिलोकीपुर ,सलेमाबाद ,संनगांव ,हसनापुर सानी ,मनझुपुर, भैरमपुर ,रावतपुर आदि  को चुना गया है।जंहा बाल हितैषी ,महिला हितैषी , स्वस्थ्य गाँव आदि की न्यूनतम किसी एक थीम अथवा अधिकतम दो विषयों के माध्यम से आदर्श ग्राम पंचायत बनाने का लक्ष्य रखा गया है , बैठकों के दौरान जिला कार्यक्रम समनवयक अनुभव गर्ग द्वारा बताया गया की   सुशासन वाले आदर्श गाँवों  में आवश्यक रूप से बहुत जीवंत, मजबूत और सक्रिय ग्राम सभा होनी चाहिए, जिसमें बड़ी लोकप्रिय भागीदारी, अच्छी चर्चा और समावेशी निर्णय लेने की यह परिकल्पना की गई है कि ग्राम पंचायत एक सूचना सुविधा केंद्र के रूप में कार्य करती है, जिसमें सभी सूचनाओं का सक्रिय रूप से जानकारी देना और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना शामिल है। 
उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया की जनपद फतेहपुर आकांक्षी जनपद के रूप में चयनित जिला हैं जंहा एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत है पुरे जनपद में कुल 840 ग्राम पंचायते 1552 राजस्व गावों का नेतृत्व करती हैं इन ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए 73 वे सविधान संशोधन के माध्यम से त्रि स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है अनुच्छेद 243 (ए )  के अनुसार पंचायत ग्रामीण अंचल की स्वशासी संस्था या स्थानीय सरकार हैं  पंचायतों द्वारा ज्यादातर भौतिक संसाधनों आओर ढांचागत विकास को ही विकास के रूप में समझा जाता रहा है परन्तु ग्रामीण भारत में परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर प्रमुख योजनाओं के प्रभावी और कुशल क्रियान्वयन हेतु सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीकरण की अत्यंत आवश्यकता है। 
पीरामल फाउंडेशन के जिला कार्यक्रम समन्वयक अनवर हुसैन खान द्वारा बताया गया की सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण हेतु 17 लक्ष्यों को समाहित करते हुए 9 प्रमुख विषयगत क्षेत्रों का चिन्हांकन किया गया है जिसमें  ग्राम पंचायतों में उपलब्ध सशाधनों का समुचित प्रयोग कर ग्राम पंचायतों को आदर्श ग्राम पंचायत के रूप में तैयार करने की नितांत आवश्यकता है जिसमें सामाजिक स्थिरता हेतु  बाल हितैषी गाँव , महिला हितैषी गाँव , , सामजिक रूप से न्याय संगत एवं सुरक्षित गॉंव , सुशासन वाला गाँव   आर्थिक स्थिरता के लिए  स्वस्थ्य गाँव, गरीबी मुक्त गाँव , आत्म निर्भर बुनियादी ढांचे वाला गाँव  पर्यावरणीय स्थिरता के लिए पर्याप्त जल युक्त गाँव ,स्वच्छ गांव आदि के रूप में  विकशित करने की आवश्यकता है जिससे क्षेत्रीय स्तर पर लोगों को सुविधाओं से जोड़ा जा सके | 
दोनों हो ग्राम पंचायतों में बैठकों के दौरान समस्त जन प्रतिनिधियों (वार्ड पंचों ) द्वारा  प्रधानों व ग्राम विकास अधिकारीयों को ग्राम में मौजूद संशाधनों ग्राम की  स्थानीय समस्याओं से अवगत कराया गया साथ ही  पंचायतों के माध्यम से समस्त ग्रामों के सामजिक मानचित्रीकरण , स्वास्थ्य ,शिक्षा ,पोषण ,आर्थिक विकास आदि के आंकड़ों को पारदर्शिता के साथ जनप्रतनिधियों की उपस्थिति में प्रतिमाह समीक्षा करने का अनुरोध भी किया गया  | 
सतत विकास लक्ष्य क्या है  इसकी जरूरत क्यों?  -   17 सतत विकास लक्ष्य और 169 उद्देश्य सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के अंग हैं. इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा के शिखर सम्मेलन में 193 सदस्य देशों ने अपनाया था. यह एजेंडा 1 जनवरी, 2016 से प्रभावी हुआ है. इसे अगले 15 सालों में साल 2030 तक हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है.
सतत विकास  के 17 लक्ष्य : 1: गरीबी की समाप्ति 2: भुखमरी से मुक्ति 3: लोगों के लिए स्वास्थ्य और आरोग्यता 4: गुणवत्तापरक शिक्षा  5: लैंगिक समानता  6: जल एवं स्वच्छता  7: किफ़ायती और स्वच्छ ऊर्जा  8: उत्कृष्ट कार्य और आर्थिक विकास  9: उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचे का विकास  10: असमानताओं में कमी  11: संवहनीय शहरी और सामुदायिक विकास  12: ज़िम्मेदारी के साथ उपभोग और उत्पाद  13: जलवायु कार्रवाई  14: जलीय जीवों की सुरक्षा (जल में जीवन)  15: थलीय जीवों की सुरक्षा (स्थलीय पारिस्थितिक में जीवन)  16: शांति, न्याय और सशक्त संस्थाएं  17: लक्ष्यों के लिए भागीदारी कई लक्ष्य मौजूदा समझौतों पर निर्मित होते हैं और अन्य राजनीतिक प्रक्रियाओं के अभिन्न अंग होते हैं, जैसे कि जैव विविधता, जलवायु, महासागरों या मानकों पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन आदि द्वारा सतत् विकास लक्ष्यों का मुख्य उद्देश्य विश्व से गरीबी को पूर्णतः खत्म करना तथा सभी समाजों में सामाजिक न्याय व पूर्ण समानता स्थापित करना है।
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