प्रथम 1000 दिवसों में संवेदनशील परवरिश एवं सीखने के प्रारम्भिक अवसरों पर आधारित चार दिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन
फतेहपुर।नीति आयोग, वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी के साथ प्रदेश के आकांक्षी जनपद फतेहपुर में चलाई जा रही जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना के अंतर्गत चार दिवसीय क्षमता अभिवृद्धि कार्यशाला का समापन बाल विकास पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी साहब यादव के मुख्य आतिथ्य में एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी शहरी रवि शास्त्री, विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी की राज्य प्रमुख साक्षी पवार , वैन लीर फाउंडेशन के जिला परियोजना समन्वयक अनुभव गर्ग, आदि की उपस्थिति में दिनाँक 24 नवम्बर 2023 को जिला प्रशिक्षण केंद्र विकास खण्ड कार्यालय तेलियानी में हुआ I समापन सत्र के दौरान विषय विशेषज्ञ - स्वास्थ्य एवं पोषण सोनल रूबी राय एवं परियोजना विषय विशेषज्ञ प्राम्भिक बाल्य विकास आर्यन कुशवाहा द्वारा समस्त मंचासीन अतिथियों के स्वागत के साथ किया गया I कार्यक्रम के समापन के दौरान बाल विकास पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी साहब यादव द्वारा मुख्य वक्ता के रूप में समस्त प्रतिभागियों को सक्रीय प्रतिभागिता एवं प्रत्येक प्रशिक्षण गतिविधि में सहभागिता हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं दी गईं और कहा की इस सीख को समुदाय तक ले जाने में समस्त विभागीय अधिकारीयों का पूर्ण सहयोग दिया जाएगा I उन्होंने बताया की जीवन के प्रथम 1000 दिनों में संवेदनशील परवरिश के माध्यम से गर्भावस्था से लेकर दो वर्ष तक की उम्र में होने वाले मानसिक ,बौद्धिक , शारीरिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास से ही संभव होगी विकसित भारत की संकल्पना की जा सकती है I प्रशिक्षण के तकनिकी सत्रों के दौरान मुख्य प्रशिक्षक अनुभव गर्ग व विषय विशेषज्ञ - स्वास्थ्य एवं पोषण सोनल रूबी राय, विषय विशेषज्ञ प्रारंभिक बाल्य विकास आर्यन कुशवाहा द्वारा गर्भावस्था से दो वर्षों तक जीवन के प्रथम 1000 दिनों में होने वाले मानसिक विकास को चार्ट पेपर एवं फर्श पर वृहद रंगों से चित्रण के माध्यम से न्यूरॉन्स के बनने व जुड़ने की प्रक्रिया को बड़े ही सरल तरीके से समझाया और यह भी बताया की घर के वातावरण, गर्भावस्था के दौरान परिवार का जुड़ाव व बच्चे के जन्म के पश्चात उसके आसपास घट रही घटनाएं, संगीत ,संवेदनशील गतिविधियों को सेंसरी कोनो की स्थापना कर उसके बौद्धिक व सामजिक विकास में सकारात्मक सहायता की जा सकती है साथ ही ऐसे बच्चे जीवन में अपने सर्वांगीण विकास के लक्ष्यों को तीव्र गति से प्राप्त करने में सफल होते है , इसी प्रकार प्रारम्भिक बाल्यावस्था के विकास के लिए अपने घर और आसपास के वातावरण में मौजूद चीजों से उनके लिए खेल सामाग्री तैयार करना जैसे की - पुराने रंगीन कपड़ों से मुलायम खिलौने बनाना ,चित्र कार्ड बनाना इन खिलौनों के माध्यम से बच्चों को अलग अलग विकास के अनुभव देना आदि उसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है I साथ ही विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी की राज्य प्रमुख साक्षी पवार के साथ मुख्य प्रशिक्षक अर्पिता कुमारी द्वारा प्रथम 1000 दिवस परियोजना के प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिवस में जिले में कार्यक्रम के विस्तार की योजना प्रत्येक ब्लाक तक 100 -100 आंगनबाड़ी केंद्रों तक ले जाने के बारे में कार्यत्रियों को अभिभावक प्रशिक्षक के तौर पर तैयार किया गया है, जिसमें प्रशिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण कौशल तथा शिक्षक के सिद्धांतों के बारे में चर्चा की गई I उन्होंने ने प्रतिभागियों से सम्पूर्ण चार दिवसीय प्रशिक्षण में संवेदनशील परवरिश को जीवन के प्रथम 1000 दिवस में होने वाले मस्तिष्क के विकास को महत्वपूर्ण रूप से समझने पर जोर दिया I प्रथम 1000 दिवस परियोजना के प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिवस एक सार के रूप में अनुभव गर्ग द्वारा बताया गया की व्यक्तिगत एवं सामाजिक रूप से जीवन के प्रथम 1000 दिनों में गर्भकाल से लेकर दो वर्ष की उम्र तक आशाओं , आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा जो परामर्श बच्चों व माताओं को एक सुरक्षित एवं सुखद माहौल प्रदान करने के लिए दिया जाता है, उससे बच्चों के मस्तिष्क विकास में सकारात्मक प्रभाव होता है I वैन लीर फाउंडेशन के जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा बताया गया की प्रथम 1000 दिवस परियोजना के तहत पहले चरण में हाई टच में 13 आंगनवाड़ियां चयनित की गई है, और इन 13 आंगनबाड़ियों की सभी कार्यत्रियों के साथ सघन रूप से संवेदनशील परवरिश के मुद्दों पर कार्य किया जा रहा है I इस परियोजना के दूसरे चरण में जिले के प्रत्येक ब्लाक से 100- 100 मीडियम टच के कार्यकर्ताओं की क्षमता अभिवृद्धि शामिल है I समस्त हाई टच आंगनबाड़ी केंद्रों की क्षमता वर्धन पश्चात , परियोजना अंतर्गत प्रत्येक ब्लाक के मीडियम टच आंगनबाड़ी केंद्रों को प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा I विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी की स्टेट लीड, साक्षी पवार, परियोजना कार्यकारी अर्पिता कुमारी एवं प्रशांत पंकज , ने सत्रों के दौरान बताया कि कार्यशाला के पहले दिन महिलाओं के गर्भावस्था और गर्भ में पल रहे शिशु की संवेदनशील देखभाल पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दूसरे और तीसरे दिन संवेदनशील देखभाल के बारे में चर्चाएं होंगी जो 1 साल और 2 साल तक के बच्चों को समर्पित होगी। साथ ही प्रशिक्षण के चौथे दिन संवेदनशील देखभाल, परवरिश, और उनके व्यवहार में परिवर्तन पर सत्र आयोजित किये गया Iयह कार्यक्रम फरवरी 2022 से उत्तर प्रदेश व ओडिशा के दो आकांक्षी ज़िलों में चलाया जा रहा है , एक बच्चे के जीवन में पहले 1000 दिन , जिसे गर्भधारण से लेकर पहले दो वर्षों तक गिना जाता है जो छोटे बच्चों में तेजी से बदलाव और विकास का समय होता है जो उनकी सेहत पर आजीवन प्रभाव डालता है I