एसीएमओ ने पहले स्वयं खाई फिर बच्चों को खिलाई पेट के कीडे निकालने की दवा

 एसीएमओ ने पहले स्वयं खाई फिर बच्चों को खिलाई पेट के कीडे निकालने की दवा



जनपद में मनाया गया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस


विद्यालयों में बच्चों को खिलाई गई दवा


फतेहपुर। जनपद में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया गया जिसमें बच्चों को पेट में कीडे निकालने की दवा खिलाई गई। उच्च प्राथमिक विद्यालय खेलदार में कार्यक्रम का उदघाटन करते हुये अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 इश्तियाक ने पहले स्वयं दवा खाई फिर बच्चों को दवा खिलाई। एसीएमओ ने कहा कि अभियान के दौरान एक से 19 साल तक की उम्र के बच्चे व किशोर-किशोरियों को दवा खिलाई जाएगी। एक फरवरी को जो बच्चे दवा खाने से छूट जाएंगे उनको पांच फरवरी को मॉप अप राउंड  के दौरान दवा का सेवन कराया जाएगा। इस दौरान प्रधानाचार्य मिनाक्षी श्रीवास्तव, डीपीएम लालचंद्र गौतम, आरबीएसके डीईआईसी मैनेजर विजय कुमार, एविडेंस एक्सन के जिला समन्वयक छोटेलाल मौजूद रहे। इसी प्रकार कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय हथगाम, एमजी इंटर कालेज सिधांव असोथर, सरस्वती देवलोक विद्या मंदिर इंटर कालेज खागा, राजाराम इंटर कालेज, पंडित दयाशंकर इंटर कालेज भैसौली देवमई, जेएच स्कूल भिटौरा, प्राइमरी स्कूल सुल्तानपुर बहुआ, सीएचसी धाता आदि स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों में बच्चों को एल्बेडाजोल की गोलियां खिलाई गई। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के नोडल अधिकारी एसीएमओ  डॉ. मनीष शुक्ला ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से एक से पांच साल तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर दवा खिलाई गई। स्कूलों में छह से 19 साल तक के बच्चों व किशोर-किशोरियों को शिक्षकों की मदद से दवा खिलाई गई। उन्होंने कहा कि यह दवा चबाकर खानी है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व शिक्षकों ने अपने सामने  बच्चों को दवा खिलाई। किसी भी बच्चे या परिजन को दवा बाद में खाने के लिए नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत साल में दो बार पेट के कीड़े निकालने वाली दवा खिलाई जाती है। पिछले साल 10 फरवरी को आयोजित हुए  अभियान में 11 लाख बच्चों ने दवा खाई थी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक धीरेंद्र वर्मा ने बताया   छोटे बच्चों को गोली पीस कर दी गई है,  जबकि बड़े बच्चों ने गोली चबाकर खाई है। आरबीएसके  योजना के डीईआईसी मैनेजर  विजय सिंह ने बताया कि जिले के सभी सरकारी के साथ प्राइवेट स्कूलों में सौ प्रतिशत दवा खिलाई जानी  है।

 

कृमि नियंत्रण के फायदे

-   रोग प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि

-   स्वास्थ्य और पोषण में सुधार

-   एनीमिया नियंत्रण

-   समुदाय में कृमि व्यापकता में कमी

-   सीखने की क्षमता और कक्षा में उपस्थिति में सुधार

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