सपा से नरेश आए तो साध्वी को वाक ओवर मिलना तय

 सपा से नरेश आए तो साध्वी को वाक ओवर मिलना तय



उत्तम के आने की चर्चा से भाजपा खेमे को हैट्रिक का भरोसा 


नरेश उत्तम को विधान परिषद न भेजे जाने से बदला चुनावी गणित


कुर्मी समाज में पी डी ए को लेकर निराशा बढ़ी


डा.अशोक पटेल या नरेश उत्तम ? सम्भावित प्रत्याशिता को लेकर असमंजस बरकरार


फतेहपुर: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर समाजवादी पार्टी के आला नेतृत्व में अनिश्चय भरी छटपटाहट दिख रही है.  सपा पीडीए के अपने फार्मूले पर ही फेल दिख रही है. फतेहपुर में समाजवादी पार्टी द्वारा जादुई चेहरे की तलाश में नरेश उत्तम की सम्भावित प्रत्याशिता से भाजपा खेमे में खुशी की लहर है. 

जिले में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम के प्रत्याशी के रूप मे उतरने को लेकर भाजपा की साध्वी निरंजन ज्योति का हैट्रिक लगाने दावा मजबूत हुआ है. भाजपाई मानते हैं कि नरेश उत्तम का कोई व्यक्तिगत जनाधार नहीं है. इसके पीछे मजबूत तर्क है कि पिछले लोकसभा और सपा को प्रदेश अध्यक्ष उत्तम अपने बूथ में ही हार से नहीं बचा सके. चुटकी लेते हुए सजीवन पटेल कहते हैं कि उत्तम के साथ पटेल लिखकर दो सरनेम लिखने को मजबूर प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे में सपा सुप्रीमो को कौन सा जादुई असर दिखता है? 

 नरेश उत्तम के विधान परिषद न भेजे जाने के भी अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं . पटेलों में नाराजगी के बीच इस बात की चर्चा है कि पीडीए नीति सिर्फ यादवों को स्थापित करने के लिए है गोया नरेश उत्तम पटेल को एमएलसी के लिए तय होने के बाद हासिये में न फेंक दिया जाता!अमौली के बृजेश, धाता के हरिशंकर , रक्षपालपुर के मनोज का मानना है कि प्रदेश अध्यक्ष नरेशउत्तम को लोकसभा फतेहपुर से उतारना उन्हें बलि का बकरा बनाने जैसा ही होगा. 

सपा सुप्रीमो द्वारा अनुप्रिया के गढ़ भेजे जाने के बाद मिर्जापुर के लिए हिम्मत न जुटा पाने वाले उत्तम के लिए फतेहपुर की सीट कैसे मुफीद हो सकती है? इसको लेकर समाजवादी खेमे में भी खुसर- फूसर जारी है. अलबत्ता प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पार्टी को आईना दिखाने की हिम्मत कोई नहीं कर रहा. तीन दशक पहले वी पी सिंह लहर में जनता दल से विधायक बनने वाले नरेश उत्तम इतने लंबे अन्तराल बाद मोदी लहर में साईकिल को जिले में कितनी रफ्तार दे पाएंगे? कहना मुश्किल ही है. 

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि राज्यसभा चुनाव में  सेंधमारी, मैनेजमेंट में राजा भैया से लेकर मनोज पांडेय तक को संतुष्ट कर पाने में असफल रहे उत्तम को उनके ग्रह जनपद से अगर मिला टिकट तो भाजपा को लगभग वाक ओवर मिलना तय है. 

वैसे भी पीडीए के लिहाज से देखा जाये तो मनोज पांडेय के जाने से ज्यादा नुकसान विनोद प्रजापति,महाराजी देवी , पूजा पाल व आशुतोष मौर्य के जाने का है ऐसे में नरेश उत्तम को विधान परिषद भेजने के निर्णय से पलटना सपा के लिए दूर गामी असर दे सकता है. इसके संकेत अभी से अन्य पिछड़े समाज के लोगों के बीच उठने वाले ये सवाल दे रहे हैं कि 90 के दशक के ओबीसी फार्मूले के तहत पिछड़ो की आवाज बनकर उठी पार्टी आखिर पी डी ए का नारा देकर सिर्फ यादवों तक सीमित होकर क्यों रह गई है. सवाल उठना लाजमी है कि पिछड़े समाज के लोगो का पार्टी से मोह भंग क्यों हो रहा है? पार्टी के प्रभावशाली गैर यादव नेता आखिर क्यों पाला बदल रहे हैं ? क्या ओबीसी से किए गए वादों पर ही खरी नही उतर पा रही सपा? प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को अंतिम समय में विधान परिषद भेजने के निर्णय को पलटने से तो यही कयास लगाए जा रहे हैँ.

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