आस्था की प्रतिमूर्ति श्रीनन्देश्वर शिवलिंग का सांपों से किया गया अद्भुत श्रृंगार

 आस्था की प्रतिमूर्ति श्रीनन्देश्वर शिवलिंग का सांपों से किया गया अद्भुत श्रृंगार




कानपुर।सरसौल स्थित प्राचीन श्री नन्देश्वर धाम मंदिर में सांपों से शिवलिंग का श्रंगार किया गया। यहां आसपास सहित दूर-दूर से आए हजारों शिव भक्तों ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। खास बात यह है कि महाशिवरात्रि के पहले सपेरे सांपों को पकड़ते है। श्रंगार वाले दिन सपेरे सांपों को श्री नंदेश्वर धाम मंदिर लेकर आए है। पूजा-अर्चना होने के बाद सांपों को वापस जंगल मे छोड़ दिया जायेगा।

भगवान शिव के श्रंगार से पहले भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने से पहले सपेरों ने बीन की धुन में नृत्य किया और भोले नाथ को श्रंगार के लिए आमंत्रित किया, तदोपरांत भगवान भूतनाथ का श्रंगार शुरू हुआ। अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से भोलेनाथ का पूजन उपरांत भव्य श्रृंगार के लिए जंगलों से लाए गए सर्प, बिच्छू अन्य जीव जंतुओं से श्री  नंदेश्वर बाबा का श्रंगार किया गया। इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ एकत्रित हुई  भक्त भोलेनाथ की एक झलक देखने के लिए आतुर रहे। बता दें कि भक्तों को पूरे साल महाशिवरात्रि के तीसरे दिन यानि आज की रात्रि का इंतजार रहता है, भक्तों ने लिए आखिर आज वो सुहाना समय आया और सर्पों से श्रंगारित बाबा नंदेश्वर के दर्शन किए और अपनी मन्नते मांगी। बम बम के जयकारों से श्री नंदेश्वर धाम गूंज उठा।सरसौल स्थित सैकड़ों वर्ष पुराना श्री नंदेश्वर धाम में स्थापित अर्धनारीश्वर शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। तिलशहरी गांव के रहने वाले शिव भक्त नरेंद्र सिंह बताते हैं कि प्रतिदिन श्री नन्देश्वर बाबा के दर्शन करने जाते हैं। यह शिवलिंग सुबह भूरा, दोपहर को चमकता और सूरज ढलने के साथ ही शिवलिंग की चमक चली जाती है। भक्त मानते है कि सूरज अस्त होने के साथ ही बाबा भोलेनाथ अपने शयन कक्ष में चले जाते है

मंदिर कमेटी की अध्यक्ष राजेन्द्री यादव बताती हैं कि, पिछले करीब 25 वर्षों से श्री नन्देश्वर धाम पर जीवित सांपों और अन्य जीव जंतुओं की झांकी सजाई गई है। महाशिवरात्रि के तीसरे दिन शाम को शिवलिंग पर बेल पत्र, फूलों का श्रंगार किया गया। इसके बाद सांपों को शिव परिवार के पास छोड़ दिया गया। सांप शिव परिवार के आसपास घूमते रहे। जिनके दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। शिव भक्तों के लिए यह एक अनोखी आस्था बनी हुई है। प्राचीन मंदिर श्री नंदेश्वर धाम में सांप लाने वाले सपेरे बताते हैं कि शिवरात्रि के कुछ दिनों पहले ही जंगलों से सांपों को पकड़ा जाता है। महाशिवरात्रि के तीसरे दिन शाम को पिटारा से सांपों को निकालकर श्री नन्देश्वर धाम मंदिर में श्रंगार किया जाता है। श्रंगार के बाद सभी सांपों को पिटारा में वापस रख दिया जाता है। सुबह सांपों को दूध पिलाकर जंगलों मे छोड़ दिया जाता है। उन्होंने बताया कि श्रंगार में जो रुपयों का चढ़ावा चढ़ता है। और मंदिर कमेटी के द्वारा जीविकोपार्जन के लिए रुपये दिए जाते हैं। वही रुपये लेकर हम लोग सुबह अपने-अपने जनपदों के लिए वापस लौट जाते हैसरसौल स्थित श्री नन्देश्वर धाम मंदिर में कन्नौज, इटावा, फतेहपुर, कानपुर देहात, कानपुर आदि जनपदों से 50-60 सपेरे आए। जो अपने साथ सैकडों सांपों को लेकर आए। सपेरों के ठहरने व खाने का प्रबंध मंदिर कमेटी के द्वारा किया गया। सपेरे एक रात रुकने के बाद अपने जनपदों को वापस लौट जायेंगे।सरसौल स्थित श्री नन्देश्वर धाम मंदिर प्राचीन है। यहां पर महाशिवरात्रि पर्व के तीसरे दिन की रात्रि को जीवित सांपो का श्रंगार देखने को नरवल तहसील क्षेत्र के आसपास के लोग हजारों की संख्या में मंदिर पहुंचकर जीवित सांपों का श्रंगार देखा। यह प्राचीन शिव मंदिर कानपुर के सरसौल क्षेत्र में एक मात्र आस्था का केंद्र बना हुआ है।

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