फसलों में फालआर्मी वार्म रोग के प्रकोप को देखते हुए कीटनाशक दवा का करें प्रयोग: कृषि रक्षा अधिकारी
फतेहपुर।जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि मौजूदा समय में प्रदेश के कई भागों में जायद की मक्का के अतिरिक्त उरद मूंग की फसल में भी फालआर्मी वार्म का प्रकोप देखने को मिला है। जनपद में भी कई स्थानों पर इस कीट के आसार मिले हैं। कीट की पहचान एक बहुभोजी कीट के रूप में होती हैं, जिसके लार्वा की सूंडी हरे-भूरे रंग के शरीर पर काले धब्बे जैसे पैटर्न लिए होती है। कीट की प्रत्येक मादा 2000 तक अंडे देती है। एक फसल चक्र में उनकी कई पीढियाँ जन्म लेती हैं। इल्लियाँ अपने अन्तिम चरण के दौरान पौधे को खाकर सबसे अधिक नुकसान पहुँचाती हैं। कीट के नियंत्रण हेतु खड़ी फसल में अंड परजीवी जैसे ट्राइकोग्रामा प्रेटिओसम युक्त ट्राइकोकार्ड का प्रयोग करना चाहिए। अत्यधिक प्रकोप होने पर कीटनाशी रसायन क्लोरेन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 प्रतिशत SC की 0.4 मिली की मात्रा को प्रति एक लीटर पानी के दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।