जिलाधिकारी की छवि को धूमिल करने मे राजस्व प्रशासन की सहभागिता
डम्प के मानको को छिपा कर रहे है संचालको की अगुवाई
राजस्व प्रशासन की मिली भगत से मानक को कर दरकिनार, जलधारा के निकट बिना मानक मोरम का लगाया भंडार, जबकि शासनादेश के मुताबिक जलधारा से 05 km तक डम्प लगाना है निराधार
फतेहपुर। बरिश की शुरुआत के साथ खनन पर रोक लग जाने के बाद खनन माफियाओ की डम्प सेवा मनमानी तरीके से चरम सीमा पर है। जहा एक ओर सरकार द्वारा प्रस्तुत शासनादेश मे यमुना नदी की जलधारा से 5 किमी० तक डम्प लगाने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया गया है, वही दूसरी ओर राजस्व के अधिकारियो से मिलीभगत कर सुविधाशुल्क के दम पर अपनी मनमानी चलाते हुए अवैध डंप जिसकी दूरी जलधारा से डम्प संचालक खुद ही तय करके एवं मानको को ताक पर रख कर बेखौफ़ संचालित कर रहे है।
दतौली स्थित चौहान ढाबा के पीछे विगत २०१९-२० मे संचालित हुआ था, मोरंग डम्प जिसे नये शासनादेश मे जलधारा से ०५ किमी० के अंदर होने पर उच्चाधिकारियो ने निरस्त कर दिया था। किन्तु मौके की ताक मे बैठे उक्त खनन माफिया ने अपने मुताबिक अधिकारियो की गणित बैठते ही sixer लगा के उक्त डम्प को पुनः अवैधानिक रूप से सभी कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक सेटिंग कर ली और अब महाशय को शासन प्रशासन का भी किसी प्रकार का कोई भय नही रहा जिसका सीधा तार खनिज एवं राजस्व प्रशासन से जुड़ा हुआ है। लगातार इस पर दर्जनों अख़बार एवं चैनेल के माध्यम से उच्चाधिकारियो को सूचना पहुंचाने के बावजूद नही हो रही कार्यवाही का अर्थ ही प्रशासन के ठेकेदार समझा दे तो आम जनमानस को हो रही समस्याओ से जूझने का नया मार्ग मिल शायद मिल जाये।