बुंदेलखंड चित्रकूट में यूनेस्को जियोपार्क की संभावनाएं
बुंदेलखंड चित्रकूट में यूनेस्को जियोपार्क की संभावनाएं

जियोपार्क बनने से होगा बुंदेलखंड का विकास

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण टीम ने जताई उम्मीद

यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क का दर्जा प्राप्त स्थल अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त स्थल होते हैं, जो उच्चतम मानकों के अनुसार प्रबंधित किए जाते हैं। भारत में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां जियोपार्क की स्थापना की जा सकती है, जैसे कि बुंदेलखंड। ये क्षेत्र भूवैज्ञानिक धरोहर से समृद्ध हैं और यहां पर जियोपार्क की स्थापना से न केवल इन धरोहरों का संरक्षण होगा, बल्कि पर्यटन और स्थानीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
जियोपार्क केवल भूवैज्ञानिक धरोहरों का संरक्षण करने का साधन नहीं हैं, बल्कि ये सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यावरणीय धरोहरों को भी संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। जियोपार्क के माध्यम से सतत विकास, पर्यावरणीय शिक्षा, और स्थानीय समुदायों के विकास को प्रोत्साहन मिलता है। ये स्थल न केवल संरक्षण के केंद्र होते हैं, बल्कि शिक्षा, अनुसंधान, और पर्यटन के माध्यम से व्यापक सामाजिक और आर्थिक लाभ भी प्रदान करते हैं।जियोपार्क एक विशिष्ट भूगर्भीय धरोहर क्षेत्र होता है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक और प्राकृतिक स्थलों के संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया जाता है। जियोपार्क का मुख्य उद्देश्य भूवैज्ञानिक धरोहर, सांस्कृतिक धरोहर और पारिस्थितिकी का संरक्षण करना, पर्यावरणीय शिक्षा को बढ़ावा देना, और स्थानीय समुदायों के सतत विकास में योगदान देना है।
जियोपार्क में ऐसे स्थल शामिल होते हैं जो भूवैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे कि प्राचीन चट्टानें, खनिज संसाधन, पर्वत श्रृंखलाएं, और अन्य भूवैज्ञानिक संरचनाएं। इन धरोहरों का संरक्षण और अध्ययन जियोपार्क का एक प्रमुख लक्ष्य होता है। जियोपार्क पर्यावरणीय शिक्षा और अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण स्थल होते हैं। यहां पर छात्रों, शोधकर्ताओं और पर्यटकों को भूविज्ञान, पारिस्थितिकी और पर्यावरण संरक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिलता है। जियोपार्क में केवल भूवैज्ञानिक धरोहर ही नहीं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर भी शामिल होती है। प्राचीन मंदिर, किले, सांस्कृतिक स्थल, और स्थानीय परंपराएं भी जियोपार्क का हिस्सा बनती हैं, जो क्षेत्र की पहचान को और मजबूत करती हैं। जियोपार्क के माध्यम से स्थानीय समुदायों के सतत विकास को प्रोत्साहित किया जाता है। यह स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर प्रदान करता है, जैसे कि पर्यटन, हस्तशिल्प, और पारंपरिक ज्ञान के प्रचार-प्रसार के माध्यम से। जियोपार्क में स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है। जियोपार्क पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देता है। पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए जियोपार्क एक मॉडल के रूप में काम करते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में जागरूक किया जाता है, जिससे वे इन स्थलों के संरक्षण में योगदान दे सकें।
बुंदेलखंड क्षेत्र, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लिए  एक सांस्कृतिक स्थल है और इसे ‘तपोभूमि’ कहा जाता है, जहां भगवान राम अपने वनवास की अवधि के दौरान 11 वर्षों से अधिक समय तक रहे , अपनी अनूठी भूवैज्ञानिक संरचनाओं, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र में जियोपार्क की स्थापना की संभावनाएं अत्यधिक महत्वपूर्ण हो सकती हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र की भूवैज्ञानिक संरचनाएं बहुत पुरानी और विशिष्ट हैं, जिसमें ग्रेनाइट, बेसाल्ट, और अन्य खनिज संसाधन शामिल हैं। यहां के चट्टानी परिदृश्य और प्राचीन पहाड़ियाँ भूवैज्ञानिक अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। क्षेत्र में खनिज संसाधनों की प्रचुरता और उनके अन्वेषण के इतिहास को ध्यान में रखते हुए जियोपार्क भूविज्ञान के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन स्थल बन सकता है।
चित्रकूट में संभावित जियोपार्क की स्थापना के लिए एक महत्त्वपूर्ण फील्ड कार्यशाला एवं सामूहिक चर्चा का आयोजन किया गया। दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट के सहयोग से द सोसाइटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट्स, आईआईटी-कानपुर, और भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया। चित्रकूट में आयोजित यूनेस्को जियोपार्क कार्यशाला निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस कार्यशाला ने बुंदेलखंड की भूवैज्ञानिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।  भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने हाल ही में धार्मिक नगरी चित्रकूट का दौरा किया। इस दौरे के दौरान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व उप महानिदेशक और आईआईटी कानपुर के सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम के सलाहकार डॉ सतीश त्रिपाठी ने बताया कि यूनेस्को का ग्लोबल जियो पार्क प्रोजेक्ट 2015 से चल रहा है। जियो पार्क के रूप में किसी क्षेत्र के विकसित होने से उस क्षेत्र के इतिहास, संस्कृति, पुरातत्व और भूविज्ञान को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलती है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के क्षेत्रों में फैले चित्रकूट और इसके आसपास के विशाल क्षेत्रफल में जियो पार्क को विकसित किये जाने की पर्याप्त संभावना है और इस सम्बंध में एक रिपोर्ट तैयार कर यूपी और एमपी सरकार को सौंपने जा रही है।
भू वैज्ञानिक डॉ अनिल साहू ने बताया कि कामतानाथ परिक्रमा पथ बुंदेलखंड ग्रेनाइट विंध्यन बलुआ पत्थर से मिलता है। यह मध्य भारत मे अकेला स्थान है। इसी कारण वैज्ञानिक रूप से इसकी परिक्रमा की जाती है। स्ट्रोमेटोलाइट्स का उदाहरण लें। जानकी कुंड के पास मंदाकिनी के तल में पाए गये जीवाश्म पृथ्वी पर पहले जीवन रूप हैं। लगभग 1600 मिलियन वर्ष पुराने इन नीले-हरे शैवाल जीवाश्मों ने कार्बन डाइऑक्साइड का उपभोग करके पृथ्वी के पर्यावरण को बदल दिया और ऑक्सीजन का उत्सर्जन किया और इसे रहने योग्य बना दिया। चित्रकूट में भू-पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में भू-पर्यटन स्थलों का सर्वेक्षण किया गया है। चित्रकूट क्षेत्र में ग्लोबल जियोपार्क विकसित होने की क्षमता है और इसे यूनेस्को की मान्यता मिल सकती है। इससे इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
चित्रकूट में हाल ही में आयोजित कार्यशाला में कई प्रमुख हस्तियाँ शामिल हुईं, जिनमें  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन सिंह ने कहा कि इस परियोजना से क्षेत्र के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होगा, साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने सरकार की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया और परियोजना को शीघ्रता से पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही। कार्यशाला में अभय महाजन, महेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर, बेन्नो बोअर (प्रमुख, प्राकृतिक विज्ञान, यूनेस्को, दिल्ली), उत्तम बेनर्जी, प्रतिमा बागरी, दिलीप अहिरवार, गणेश सिंह, सुरेंद्र सिंह गहिरवार, उमाशंकर पांडे, पद्मश्री कंवल सिंह चौहान, प्रो. ए.के. सिंह, प्रो. भरत मिश्रा, प्रो. मुकेश पांडे, और डॉ. अश्वनी अवस्थी शामिल थे।
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