नही है जल , तो नही फसल, कम जल ले वो "सही फसल"
बाँदा - अटल भूजल योजनान्तर्गत जिला ग्राम्य विकास संस्थान बडोखरखुर्द के सभागार मे ""सही फसल-कृषि मे जल उपयोग दक्षता बढाना"" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यशाला मे जनपद चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, झांसी एवं बांदा से 250 किसान समलित हुए।
अतिथियों का स्वागत करते हुए जिला प्रशिक्षण अधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह ने एक दिवसीय कार्यशाला की रुपरेखा पर प्रकाश डाला।
आई.ई.सी. एक्सपर्ट अखिलेश पाण्डेय ने अटल भूजल योजना की संचालित हो रही गतिविधियों तथा भूजल के वर्तमान परिदृश्य पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि पानी बनाया नही बचाया जा सकता है यह तभी सम्भव होगा जब समाज की बराबर की भागीदारी रहेगी।
मुख्य अतिथि के रुप मे उपस्थित श्री विजय कुमार, उप निदेशक कृषि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि किसान अन्नदाता कहा जाता है। हम उसके परिश्रम की बदौलत अन्न ग्रहण कर पाते हैं, किंतु उसे पर्याप्त सम्मान नहीं देते। भारत सरकार की प्रशंसा करनी होगी कि अब उत्तम खेती करने वाले अन्नदाताओं को सही अर्थों में सम्मान मिल रहा है। किसानों को पद्म पुरस्कार दिया जाना अत्यंत प्रशंसनीय कदम है। आखिर जिस देश का आधार कृषि हो, वहां कृषकों के नाम और काम, उनका परिश्रम और उत्पाद सबके सामने आना ही चाहिए।
नेशनल वाटर मिशन, भारत सरकार से आयी सुमेधा जी ने कहा कि किसान वह व्यक्ति होता है जो कृषि में लगा होता है, भोजन या कच्चे माल के लिए जीवों को पालता है।
कृषि वैज्ञानिक डा. चंचल सिंह, कृषि वैज्ञानिक श्रीमती दीक्षा, स्टेट ट्रेनर आशीष कुमार सिंह ने कहा कि किसानों के जीवन से हमें यह सीख मिलती है की सीमित संसाधनों के बाद भी हम एक अच्छा जीवन जी सकते हैं।
प्रगतिशील किसान श्री प्रेम सिंह ने कहा कि किसान सभी प्रकार के मौसमों को सामना करके फसल उगाते हैं जिससे एक बड़ी आबादी का पेट भरता है। किसान किसी भी देश की खाद्य सुरक्षा का महत्वपूर्ण अंग होते हैं। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमें किसानों का सम्मान करना चाहिए।
कार्यक्रम में जनपद महोबा, हमीरपुर, झांसी व चित्रकूट के आई.ई.सी. / एग्रीकल्चर एक्सपर्ट उपस्थित रहे कार्यक्रम को सफल बनाने मे एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बांदा रविकान्त उपाध्याय, जिला ग्राम्य विकास संस्थान के वरिष्ठ प्रशिक्षक चन्द्रकिशोर एवं समस्त स्टाफ, डी.आई.पी. एवं सभी ब्लॉक कोआर्डिनेटर का विशेष सहयोग रहा।
कार्यशाला के उपरांत प्रतिभागियों को प्रेम सिंह की बगिया बडोखरखुर्द मे भ्रमण कराते हुए प्राकृतिक खेती, वर्मी कम्पोस्ट, बागवानी तथा कम पानी का उपयोग और अधिक पैदावार के तरीकों को देखा गया।