पमानसिक ,शारीरिक एवं भावनात्मक विकास के साथ प्रारंभिक बाल्यावस्था में सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए दूसरे चरण के तीन दिवसीय सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन
पमानसिक ,शारीरिक एवं भावनात्मक विकास के साथ प्रारंभिक बाल्यावस्था में सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए  दूसरे चरण के  तीन दिवसीय सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम  का हुआ समापन

फतेहपुर।आकांक्षी जनपद फतेहपुर में नीति आयोग भारत सरकार के निर्देशानुसार , वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एज्युकेशन रिसोर्स सोसाइटी के द्वारा संचालित परियोजना जीवन के प्रथम 1000 दिवस  के अंतर्गत  मीडियम टच आँगनबाड़ी  केंद्रों हेतु "संवेदनशील परवरिश एवं सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए"  लगातार एक साथ 2 पृथक बैचों में दूसरे चरण का प्रशिक्षण कार्यक्रम दिया जा रहा था जिसका समापन आज किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का  समापन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हथगांव में प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ अमित चौरसिया , बाल विकास परियोजना अधिकारी आई. सी. डी. एस.   संतोष पाल , जिला कार्यक्रम समन्वयक अनुभव गर्ग , बी. पी. पी. एम. राजन गुप्ता , स्वास्थ्य एवं पोषण विशेषज्ञ सोनल रूबी राय , परियोजना अधिकारी अनामिका पांडेय , बी. सी. पी.एम . धर्मेंद्र पटेल के सहयोग से संपन्न  किया गया ।  प्रशिक्षण के  दूसरा बैच का आयोजन आशीर्वाद पैलेस फतेहपुर में खजुआ, मालवा, असोथर बाल विकास परियोजनाओं  के लिए किया गया था , जिसका समापन  बाल विकास परियोजना अधिकारी असोथर शिखा चौधरी, विषय विशेषज्ञ बाल विकास आर्यन कुशवाहा एवं परियोजना अधिकारी प्रशांत पंकज द्वारा प्रमाण पत्र वितरित करके किया गया। दूसरे चरण का यह प्रशिक्षण अभियान  06 सितम्बर 2024 तक चलेगा, जिसमे   340 जमीनी कार्यकर्ताओं (ट्रिपल ए  -  ए. एन. एम. , आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं आशा कार्यकर्ताओं ) को प्रशिक्षित किया जावेगा। सम्पूर्ण भारत में केवल दो ज़िलों में किये जा रहे इस नवाचार के अंतर्गत उत्तर प्रदेश का फतेहपुर एवं ओडिशा का कोरापुट दो मात्र आकांक्षी ज़िले  हैं जहां  मानसिक ,शारीरिक एवं भावनात्मक विकास के साथ प्रारंभिक बाल्यावस्था में सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए यह  कार्यक्रम क्रियान्वयित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान जिला कार्यक्रम समन्वयक अनुभव गर्ग द्वारा  बताया गया  की किसी भी सीख की शुरुवात घर से ही की जाती है , और इस प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान को सर्वप्रथम अपने परिवार , आस पड़ोस के बच्चों के साथ साझा करने का प्रयास करें।  साथ ही प्रतिभागियों  को जीवन के प्रथम 1000 दिनों में संवेदनशील परवरिश के महत्त्व को ब्रेन मैपिंग , प्रेजेंटेशन व लघु फिल्मों के माध्यम से  बताया गया की गर्भावस्था से 2 वर्ष तक की उम्र में बच्चों का 80 प्रतिशत तक मानसिक विकास हो जाता है।  इस महत्वपूर्ण समय के दौरान गर्भवती माता का प्रथम त्रैमास में शीघ्र पंजीयन पोषण आहार,टीकाकरण,घर का सकारात्मक माहौल एवं बच्चों के  लिए सिखने के अवसरों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। जिला अधिकारीयों के निर्देशानुसार  हर सेवा प्रदाता के ऊपर यह ज़िम्मेदारी है की सम्पूर्णता अभियान के दौरान समस्त परिक्षेत्रों में मिली सफलता की कहानियों का दस्तावेजीकरण अनिवार्य रूप से किया जावे।
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