परियोजना जीवन के प्रथम 1000 दिवस अंतर्गत तीन दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ समापन
फतेहपुर।नीति आयोग के निर्देशानुसार,वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एज्युकेशन रिसोर्स सोसाइटी के संयुक्त प्रयास से संचालित परियोजना जीवन के प्रथम 1000 दिवस अंतर्गत तीन दिवसीय रिफ्रेशर प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। जिसमें उत्तर प्रदेश के 13 हाई टच आंगनवाड़ी केंद्रों के फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं ( ए. एन. एम. ,आँगनबाड़ी कार्यकत्री ,आशा कार्यकत्री) को ई.सी.ई. किट् एवं विभिन्न शिक्षण सामग्री वितरित की गई। समापन समारोह के मुख्य अतिथि, पवन कुमार मीना, आई.ए.एस., मुख्य विकास अधिकारी ने इस गरिमामय कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई व प्रशासन द्वारा बनाई गई इस सम्पूर्ण कार्यक्रम के विस्तार की योजना के बारे में भी विस्तार से सभी को अवगत कराया । इस सम्पूर्ण तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक विक्रमशिला रिती मुखर्जी , जिला कार्यक्रम समन्वयक अनुभव गर्ग , प्रारंभिक बाल्य विकास विशेसज्ञ आर्यन कुशवाहा , स्वास्थ्य एवं पोषण विशेसज्ञ सोनल रूबी राय , परियोजना अधिकारी अनामिका पांडेय एवं प्रशांत पंकज आदि ने मुख्य प्रशिक्षकों की भूमिका में सक्रीय रूप से विभिन्न सत्रों का संचालन किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हाई टच आँगनबाड़ी केंद्रों की 40 जमीनी कार्यकर्ताओं (ट्रिपल ए - ए.एन.एम., आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं आशा कार्यकर्ताओं ) को प्रशिक्षित किया गया है । सम्पूर्ण भारत में केवल दो ज़िलों में किये जा रहे नवाचार के अंतर्गत उत्तर प्रदेश का फतेहपुर एवं ओडिशा का कोरापुट दो मात्र आकांक्षी ज़िले हैं जहां मानसिक ,शारीरिक एवं भावनात्मक विकास के साथ प्रारंभिक बाल्यावस्था में सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए यह कार्यक्रम क्रियान्वयित किया जा रहा है। पोषण माह एवं सम्पूर्णता अभियान के मुख्य उद्देश्यों को समाहित करते हुए इस प्रशिक्षण मे जमीनी कार्यकर्ताओं को प्रथम 1000 दिवस अंतर्गत गर्भवती महिला से लेकर 2 वर्ष के बच्चे के पोषण और स्वास्थ्य का ध्यान ध्यान देने की आवश्यकता के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। जिसमे गर्भवती महिला के आस पास का वातावरण, आयरन की गोलियों का सेवन, संवेदनशील स्तनपान, 6 माह से पूरक पोषण आहार की शुरुवात , 2 वर्ष तक समय समय पर टीकाकरण आदि विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही प्रतिभागियों को संवेदनशील परवरिश के महत्त्व को प्रेजेंटेशन व लघु फिल्मों के माध्यम से बताया गया की गर्भावस्था से 2 वर्ष तक की उम्र में बच्चों का 80 प्रतिशत तक मानसिक विकास हो जाता है इस महत्वपूर्ण समय के दौरान गर्भवती माता का प्रथम त्रैमास में शीघ्र पंजीयन, पोषण आहार , टीकाकरण, घर का सकारात्मक माहौल एवं बच्चों के लिए सीखने के अवसरों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।