नही मिल पा रही बंदरो के आतंक से मुक्ति
फतेहपुर।बंदर...नाम सुनते ही इनके उछलने कूदने वाली हरकतें आंखों के सामने आ जाती हैं।मलवा विकास खंड के एक दर्जन गाँवो में इस समय मौजूद हजारों बंदर न सिर्फ उछल कूद करते हैं बल्कि लोगों का काफी नुकसान करते हैं। इनके आतंक से लोगो को मुक्ति कब मिलेगी शायद इसके बारे में सही से कोई नहीं बता पायेगा।
बंदरों की वजह से तमाम लोगों ने अपने घर की छतों पर जालियां लगवा रखीं हैं। ताकि छत पर सूखने वाले कपड़ों को यह उठा न ले जायें और छत पर खेलने वाले बच्चों पर हमला न कर दें। अक्सर लोग अपने घर के आंगन में ही कपड़ों को सुखाते हैं। किसी ने यदि गलती से भी कपड़ा छत पर डाल दिया तो शाम वह नहीं मिलेगा यह तो तय है।इसके अलावा राह चलते लोगों की हाथ में यदि भूखे बंदरों ने खाने का सामान देख लिया तो झपट्टा मारकर उसे छीन लेते हैं। ऐसा करने में अक्सर राहगीर भी घायल हो जाते हैं।गाँव जलाला,पहुर,साई,अलीपुर,कोरसम सहित गोपालगंज में भी बंदरो का आतंक है।बंदर बड़ों,बच्चों को काटकर घायल कर रहे है।इनसे निजात दिलाने को कोई प्रबन्ध नही है।
वन विभाग के पास नही है कोई प्रबंध
"बंदर पकड़ने के कोई इंतजाम नही है।न ही विभाग के पास कोई बजट है इस हालत मे बंदरो को पकड़ने के लिए मथुरा से टीम बुलाई जाती रही है जिसका खर्च भी ग्रामीणों को देना होता है।"
-श्रवण कुमार शुक्ला वन दरोगा,बिंदकी रेंज
काटने पर लगती है एंटी रेबीज वैक्सीन
चिकित्सक डा.धर्मेंद्र पटेल ने बताया कि कुत्ते के अलावा बंदर के काटने पर भी एंटी रेबीज वैक्सीन ही लगाई जाती है। रेबीज खतरनाक वायरस होता है और ऐसे में दस दिन के भीतर पहली डोज लगवा लेनी चाहिए।
सीएचसी पर अब उपलब्ध है वैक्सीन
अक्सर सरकारी अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन खत्म हो जाती है।ऐसे में मरीजों को मेडिकल स्टोर से खरीदकर लगवाना पड़ता है।हालांकि फिलहाल सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में वैक्सीन उपलब्धता है।प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोपालगंज मे अब वैक्सीन लगाई जा रही है।
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