खजुहा के मेले में मंत्रों द्वारा लक्ष्मण शक्ति लगाई जाती है संजीवनी बूटी से जागती है चेतना
खजुहा के मेले में मंत्रों द्वारा लक्ष्मण शक्ति लगाई जाती है संजीवनी बूटी से जागती है चेतना 

19 अक्टूबर को मरेगा रावण


बिन्दकी फतेहपुर।फतेहपुर जनपद के ऐतिहासिक कस्बा खजुहा में 587 वर्षों से निरन्तर हो रही  है राम रावण लीला दूर दूर से आते हैं मेला देखने कई बार दूरदर्शन पर प्रसारित हो चुकी है राम रावण लीला 
खजुहा कस्बे के राम जानकी पंचायती ठाकुर द्वारा कराया जाता है मेला यहा के स्वरूप लकड़ी और नरई (एक खास प्रकार की घास) से तैयार किए जाते हैं स्वरूप राम दल की सेना की लंबाई लगभग 15 फुट होती है वहीं रावण की सेना की लंबाई लगभग 40 फुट होती है मेले की शुरुआत दशहरा के दिन से गणेश पूजन के साथ शुभारंभ किया जाता है दूसरे दिन राम जानकी पंचायती ठाकुर द्वारा के प्रांगण में कैकेई वरदान का मंचन होता है तीसरे दिन राम वनवास होता है जो पूरब दिशा में स्थित राणन तालाब में सरयू नदी पार कर जंगल की ओर जाते हैं चौथे दिन पंचवटी में सूर्पनखा की नाक कान काटने की और सीता हरण लीला होती है यह स्थान उत्तर दिशा में स्थित है यह लीला भावविभोर कर देने वाली होती है पांचवें दिन चूड़ामणि और राम हनुमान मिलन कि लीला होती है यह स्थान दक्षिण दिशा में स्थित मां पन्थेश्वरी शक्ति पीठ धाम में होती है छठे दिन बाल सुग्रीव का युद्ध होता है यह स्थान उत्तर दिशा में स्थित सुग्रीव टीला में होती है सातवें दिन राम रावण  की सेना की सवारी निकाली जाती है जो मुख्य मार्ग फाटक बाजार से नगर भ्रमण करते हुए लंका मैदान में पहुचती है धरातल से 20 फुट की ऊंचाई पर स्थित लंका में रावण दल की सेना को मोंटे मोटे रस्सों से चढ़ाएं जातें हैं सावधानी के साथ इसके बाद राम दल की सेना रावण से सीता वापस करने की लीला होती है और रावण सीता को लौटाने से साफ इंकार कर देता है फिर विभिषण रावण को समझाता है और सीता को लौटाने की बात कहता है इस पर रावण क्रोधित होकर विभिषण को लात मारकर लंका से चलें जाने को कहता है विभिषण लंका छोड़ कर राम से मित्रता करते हैं राम विभिषण को लंका का राज्य तिलक करते हैं और वचन देते हैं कि लंका का राजा आप ही होंगे इसके बाद देर रात तक राम दल की सेना नगर भ्रमण करते हैं और कस्बे वासी भगवान राम की पूजा आरती करते हैं आठवें दिन राम रावण का भीषण युद्ध होता है इसी युद्ध में लक्ष्मण मंत्रों के द्वारा शक्ति लगाई जाती है यह लीला राम विलाप श्रद्धालुओं के आंखों में निरंतर आंसू निकलते रहते हैं फिर संजीवनी बूटी से लक्ष्मण को होश आने लगता है फिर लक्ष्मण इंद्रजीत का भीषण युद्ध होता है और इंद्रजीत लक्ष्मण के हाथों मारा जाता है इसके बाद राम रावण युद्ध होता है दो घंटे तक राम रावण युद्ध होता है और आख़िर में रावण का अंत हो जाता है 


हजारा आरती से भोर पहर रावण की होती है आरती 


निकासी के दिन रावण की भोर पहर हजारा आरती से पुजारी आरती करते हैं इसके बाद रावण को मुख्य मार्ग पर स्थित फाटक पर खडा कर दिया जाता है


लक्ष्मण शक्ति लगाने वाले पर नियम होते हैं 


जब लक्ष्मण और इंद्रजीत युद्ध होता है युद्ध के दौरान लक्ष्मण शक्ति लगती है तब लंका से सुसेन वैध को लाकर संजीवनी बूटी से लक्ष्मण की मूर्छा दूर होती है यहां लक्ष्मण शक्ति लगाने वाले पर नियम होते हैं दो दिन तक बिना कुछ खाए-पिए निर्जला उपवास रहना पड़ता है शक्ति मंत्रों द्वारा लगाई जाती है सरयू स्नान के बाद तेरहवीं करने के साथ ही मेला संपन्न होता है।
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