अक्षय नवमी आंवला नवमी स्वास्थ्य धन धान्य के लिए लाभदायक
अक्षय नवमी आंवला नवमी स्वास्थ्य धन धान्य के लिए लाभदायक 

आर डी दोसर 
 
बिन्दकी फतेहपुर। रविवार को अक्षय नवमी मनाई जाएगी।आंवला में औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। इसी के साथ आंवले के वृक्ष का धार्मिक महत्व भी माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है। इसे अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। रविवार को अक्षय नवमी मनाई जाएगी। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने का विधान है। इस दिन लोग व्रत करने के साथ ही आंवला वृक्ष का पूजन करते हैं । पूजन के पश्चात वृक्ष के नीचे बैठकर ही भोजन करने का भी विधान है।
-आंवला नवमी पूजा विधि
आंवला नवमी के दिन सुबह स्नान करके आंवले के वृक्ष के नीचे ओम धात्र्यै नमः मंत्र से आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। आंवले के वृक्ष में पहले भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए फूल, अक्षत, कुमकुम, तिल आदि पूजन समाग्री अर्पित करें। इसके बाद पितरों का ध्यान करते हुए आंवले के जड़ में दूध अर्पित करें । यह मंत्र बोलें- पिता पितामहाश्चानवे अपुत्रा ये च गोत्रिणः। ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेअक्षयं पयः। आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवः। ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेअक्षयं पयः।।
इसके बाद आंवले के वृक्ष के चारों ओर रक्षासूत्र लपेटते हुए मंत्र बोलें- दामोदरनिवासयै धात्र्यै देव्यै नमो नमः। सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवी नमोस्तुते।। इसके बाद घी का दीप जलाकर आंवले की आरती करें फिर प्रदक्षिणा मंत्र बोलते हुए 3 बार आंवले की परिक्रमा करते हुए यह मंत्र बोलें- ओम यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे-पदे। इससे जाने अनजाने हुए पापों का क्षय होता है और व्यक्ति पुण्य प्राप्त करता है।
-धन समृद्धि के लिए अक्षय नवमी पर कर लीजिए इन उपायों को आंवले के वृक्ष की पूजा के बाद ऊनी वस्त्र धन, अनाज जो भी आपकी श्रद्धा हो दान करना चाहिए। कहते हैं कि इस दिन दिन वस्त्रों और दान से परलोक में बैठे पितरों को शीत काल में सर्दी से कष्ट नहीं भोगना पड़ता है। आंवले की पूजा करने वाले को आऱोग्य की प्राप्ति होती है।
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