दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन का हुआ अंतिम संस्कार, 47 साल बाद कफन में लिपटी लौटी घर,पति ने दी मुखाग्नि*
*दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन का हुआ अंतिम संस्कार, 47 साल बाद कफन में लिपटी लौटी घर,पति ने दी मुखाग्नि*

जालौन।रविवार रात दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन 45 साल बाद अपनी ससुराल आई तो कफन में लिपटी हुई। कुसुमा के अंतिम संस्कार को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा।गांव में रातभर भारी पुलिस बल तैनात रहा और पुलिस अभिरक्षा में सोमवार सुबह दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन का अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। 

दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन के अंतिम दर्शन के लिए कुरौली गांव में जिलेभर से समाज के लोग जुटे।ग्रामीणों के साथ-साथ कुसुमा के पुराने परिचित और संबंधी भी अंतिम विदाई देने पहुंचे। कुसुमा के निधन की खबर से गांव में सन्नाटा पसरा रहा, लेकिन माहौल शांतिपूर्ण बना रहा। 

सोमवार सुबह गांव में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कुसुमा नाइन की अंतिम यात्रा निकाली गई और इसके बाद विधि-विधान से अंतिम संस्कार कर दिया गया। पति ने मुखाग्नि दी।पति केदार उर्फ रूठे याज्ञिक के साथ दूसरी पत्नी के बेटे, बेटियां और नंद आदि भी मौजूद रही।

इटावा जेल में बंद दस्यु सुंदरी कुसमा नाइन की तबीयत खराब होने पर उसे सैफई मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। इस पर कुसुमा ने अपने परिजनों से मिलने की इच्छा जताई थी।सिरसाकलार थाने से रामजी के पास भी फोन आया था,लेकिन रामजी ने मिलने से मना कर दिया था।ज्यादा हालत खराब होने पर कुसुमा को लखनऊ भेज दिया गया था। कुसुमा की लखनऊ में शनिवार की रात इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

कुरौली गांव से अपहरण करके बीहड़ ले जाई गई कुसमा नाइन सबसे पहले माधव के माध्यम से विक्रम मल्लाह गिरोह से मिल गई। इसके बाद कुसुमा करीब आठ साल तक इस गिरोह में रही। विक्रम की मौत के बाद कुसुमा लालाराम के संपर्क में आई और कुछ दिन के बाद रामआसरे उर्फ फक्कड़ के संपर्क में आ गई और सोलह साल तक बीहड़ में राज करती रही। कुसुमा इटावा के साथ-साथ कानपुर और अन्य जेलों में भी रही।
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