कायस्थ समाज के लोगों ने की भगवान चित्रगुप्त की पूजा
कायस्थ समाज के लोगों ने की भगवान चित्रगुप्त की पूजा



बांदा। भाई दूज के दिन कायस्थ बंधुओ ने अपने अपने घरों में और भगवान चित्रगुप्त मंदिर में होली के दूसरे दिन यानी भाई दूज के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा आराधना की, बांदा शहर के कटरा में स्थित चित्रगुप्त मंदिर में कायस्थ बंधुओ ने मिलकर भगवान चित्रगुप्त हवन पूजन किया। भाई दूज सभा का प्रारंभ अध्यक्ष संतोष कुमार श्रीवास्तव के द्वारा चित्रगुप्त मंदिर कटरा में स्थित भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा अर्चना करके किया गया। भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा के पश्चात हवन पूजन विधि विधान से करते हुए चित्रांश बंधुओ द्वारा भगवान चित्रगुप्त महाराज की आरती संपन्न की गई। इसके बाद सभी चित्रांश बंधु एकत्रित होकर महेश्वरी देवी मंदिर में स्थित चित्रगुप्त मंदिर पहुंचे और वहां पर भी पूजा अर्चना की गई। आपको बतादे कि चित्रगुप्त की पूजा साल में दो बार होती है। दीपावली के दूसरे दिन और होली के दूसरी दिन। इस बार भी होली की द्वितिया पर 16 मार्च को पूजा की गई। चित्रगुप्त पूजा वर्ष में दो बार मनाई जाती है एक होली के बाद तो दूसरी दीपावली के बाद। चित्रगुप्त पूजा कायस्थ समुदाय के द्वारा की जाती है। इस पूजा को दवात पूजा भी कहा जाता है, जहां कागज, पेन की पूजा की जाती है, इसे कायस्थ लोग अध्ययन का प्रतीक मानते है। घर में कमाने वाले सदस्य अपनी आय चित्रगुप्त के सामने लिखते है, और घर चलाने के लिए जितने खर्च की जरूरत रहती है उसे भी लिखते है, ताकि अगले साल उनकी आय में इजाफा हो सके। इस दिन नए बहीखातों पर श्री लिखकर कार्य का आरंभ भी किया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि कारोबारी अपने कारोबार से जुड़े आय-व्यय का ब्योरा भगवान चित्रगुप्त के सामने रखते हैं और उनसे व्यापार में आर्थिक उन्नति का आशीर्वाद मांगते हैं। भगवान चित्रगुप्त की पूजा में लेखनी-दवात का बहुत महत्व है।
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