शांभवी तिवारी ने यूपीएससी एग्जाम में 445 वीं रैंक प्राप्त जिले नाम रोशन किया
बांदा। शांभवी तिवारी ने कड़ी मेहनत करके बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, जिसमें लाखों उम्मीदवार हर साल भाग लेते हैं। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए वर्षों की कड़ी मेहनत, समर्पण, और एक सुनियोजित रणनीति की आवश्यकता होती है। शांभवी की सफलता न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिभा और परिश्रम का परिणाम है, बल्कि उनके परिवार के समर्थन और मूल्यों का भी प्रतीक है। शांभवी की सफलता की कहानी में उनके परिवार का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनकी माताजी, निवेदिता तिवारी, जो हल्द्वानी के एक विद्यालय में प्रोफेसर हैं, ने निश्चित रूप से उन्हें शिक्षा के महत्व को समझने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया होगा। एक शिक्षिका होने के नाते, वे शांभवी की पढ़ाई के दौरान मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रदान करने में सक्षम रही होंगी। उनके बाबा, शिवसहाय तिवारी, जिन्होंने किसानी करते हुए भी अपने बच्चों को शिक्षा और अच्छे संस्कारों का महत्व सिखाया, का भी शांभवी के जीवन पर गहरा प्रभाव रहा होगा। भारतीय संस्कृति में अक्सर दादा-दादी अपने पोते-पोतियों को महत्वपूर्ण जीवन मूल्य और नैतिक शिक्षा देते हैं, और श्री शिवसहाय तिवारी ने निश्चित रूप से शांभवी को वह आधार प्रदान किया होगा जिस पर उनकी सफलता की नींव टिकी है। शांभवी तिवारी ने पंतनगर विश्वविद्यालय से बी.टेक की डिग्री प्राप्त की है। इंजीनियरिंग की पृष्ठभूमि होने के बावजूद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा को चुना और उसमें सफलता प्राप्त की, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। यह भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने एक ऐसे क्षेत्र से निकलकर यह सफलता हासिल की है जो बड़े महानगरों की तरह शैक्षिक अवसरों से उतना समृद्ध नहीं हो सकता है। बांदा जैसे जिले से निकलकर राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता प्राप्त करना पूरे क्षेत्र के लिए गर्व की बात है। शांभवी की उपलब्धि न केवल उनके परिवार और गांव भुजरख के लिए बल्कि पूरे तिंदवारी कस्बे और बांदा जिले के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। यह सफलता यह दर्शाती है कि यदि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की जाए तो छोटे शहरों और कस्बों के युवा भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं। अब जब शांभवी तिवारी ने आईएएस में सफलता प्राप्त कर ली है, तो उनके सामने देश सेवा का एक विशाल अवसर है। एक आईएएस अधिकारी के रूप में, उनके पास नीति निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने, लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और राष्ट्र के विकास में योगदान करने का मौका होगा। शांभवी तिवारी की कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है जो कड़ी मेहनत, परिवार के समर्थन और दृढ़ संकल्प के महत्व को दर्शाती है। उनकी सफलता बांदा जिले के युवाओं के लिए एक उदाहरण है कि कैसे वे अपनी पृष्ठभूमि की सीमाओं को पार करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि शांभवी एक समर्पित और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में देश की सेवा करेंगी और अपने जिले का नाम और भी रोशन करेंगी।