सहकारिता के घाघ सिस्टम कर दिया बड़ा खेला
सहकारिता के घाघ सिस्टम कर दिया बड़ा खेला 
- जनपद में पिछले दरवाज़े से हो गया 20 बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समितियों का गठन 
- ज़रूरी नहीं समझा गया गजट कराना, गैर सरकारी कर्मी का बड़ा कारनामा 
- योगी राज में भी बे-पटरी सहकारिता का सिस्टम 
- उपायुक्त एवं एआरसीएस की भूमिका संदिग्ध, भाकियू ने उठाए सवाल 
- आन लाइन रजिस्ट्रेशन में भी नियमों की हुईं अनदेखी 
- सेटिंग से हुआ खेल, ताकते रह गए को-आपरेटर
- सचिवों की पोस्टिंग में हुईं तगड़ी वसूली का आरोप 
- डीसीबी ने 11 समितियों का किया अनुमोदन, 09 का फ़िलहाल लटका
- न्याय पंचायत स्तर की 20 समितियां गठित, शासन से 12 की और मिली सेंग्सन 
                  
  फतेहपुर। सहकारिता विभाग द्वारा कृषकों को और अधिक सहूलियतें मुहैय्या कराने के उद्देश्य से सूबे में कृषि ऋण समितियों की संख्या में इज़ाफ़ा किया जा रहा है। इसी कड़ी में इस जनपद में भी 20 और बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समितियों (बी.- पैक्स) का सृजन/गठन किया गया है। इन नवीन समितियों का उपायुक्त एवं उपनिबंधक सहकारिता प्रयागराज (प्रयागराज मण्डल) से बकायदा पंजीयन भी कराया गया है और इन नवीन समितियों ने व्यवसाय भी शुरू कर दिया है। वहीं पूर्व में अरबों की वित्तीय अनियमितताओं का साक्षी रहे सहकारिता विभाग इन समितियों के गठन से लेकर सचिवों की पोस्टिंग तक में तगड़े खेल की फितरत से बाज नहीं आ रहा है और नियम विरुद्ध ढंग से दूसरी समितियों के कर्मचारियों की सचिव पद पर पोस्टिंग करके बड़े खेल का ताना - बाना बुना जा रहा है। मोटी रकम देकर कुछ समितियों के दागी कर्मियों के परिजन भी मलाईदार सचिव की पोस्ट हथियाने में सफ़ल रहे हैं!
    उपलब्ध जानकारी के अनुसार सूबे के आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता लखनऊ के निर्देश पर प्रदेश में नई कृषि ऋण समितियों (बी.- पैक्स) का सृजन/गठन किया जा रहा है, जिनमें न्याय पंचायत स्तर पर बीस समितियों का गठन हो गया है और बारह और निचले स्तर पर गठित करने की सेंग्सन शासन से मिल गई हैं। फतेहपुर जनपद में सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता (ए.आर.सी.एस.) मोहसिन जमील के कार्यालय से जिन 20 नवीन बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समितियों (बी.- पैक्स) का आन-लाइन पंजीयन उपायुक्त एवं उपनिबंधक सहकारिता प्रयागराज मण्डल कार्यालय के स्तर से कराया गया है, उनमें बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. औंग, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि.  बैरागढ़ीवा, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति लि. (बी.- पैक्स) लि. गम्हरी, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. जरौली, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. ढ़कौली, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. लोहारी, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. चखेड़ी, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. मोहम्मदपुर कला, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. सनगांव, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. कँधिया, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. फर्शी, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. लतीफपुर, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. बनरसी, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. ख़्वाजगीपुर, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. महना,  बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. चित्तीसपुर, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. मकनपुर, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. असनी, बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. मथैयापुर एवं बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति (बी.- पैक्स) लि. बरवत शामिल हैं।
    ख़बर है कि स्थानीय ए.आर.सी.एस. कार्यालय ने इन नवीन बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समितियों (बी.- पैक्स) में मुख्य प्रवर्तकों (व्यवस्थापक/कार्यवाहक अध्यक्ष) एवं सचिवों की नियुक्ति भी कर दी है!  और दूसरी तरफ ज़िला सहकारी बैंक की सम्बंधित शाखाओं में इन समितियों के खाते भी खुल गए हैं। ज्ञात हुआ है कि वरिष्ठ राजनीतिज्ञ प्रभुदत्त दीक्षित के नेतृत्व वाले ज़िला सहकारी बैंक बोर्ड ने इन नवीन बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समितियों (बी.- पैक्स) में 11 को वित्तीय अनुमोदन भी दे दिया है, और बोर्ड की अगली बैठक में अवशेष नौ समितियों का भी अनुमोदन कराने के लिए कागज़ी खानापूरी की जा रही हैं!
    उपरोक्त समितियों (बी.- पैक्स) के सृजन/गठन में सहकारिता विभाग के बदनाम चेहरों द्वारा जमकर खेल किये जाने की शिकायत सूबे के मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री एवं आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता उ.प्र. को भेजी गई है। भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) का उपरोक्त समितियों के गठन बाबत आरोप है कि स्थानीय सहकारिता विभाग ने प्रयागराज मण्डल स्तरीय विभागीय अधिकारियों से सेटिंग करके गुप-चुप ढंग से पिछले दरवाज़े से बगैर ग़जट करवाए इन समितियों का गठन कर लिया है, जिससे निकट भविष्य में किसानों का न सिर्फ़ शोषण होगा बल्कि वित्तीय अनियमितताओं की भी संभावना रहेगी। कहा गया है कि इस बाबत स्थानीय एआरसीएस मोहसिन जमील की भूमिका पर गंभीर आरोप हैं, उन्होंने समितियों के गठन का काम विभाग के किसी सक्षम अधिकारी/कर्मचारी से न करवाकर एक गैर सरकारी कर्मचारी (अनिल वर्मा) के जिम्मे सौंपा, जिसने तगड़ा खेला कर दिया है। उपरोक्त गैर सरकारी कर्मी पर पहले से ही सहकारिता विभाग की व्यवस्था से व्यापक खिलवाड़ करने और विभागीय अधिकारियों आदि पर ब्लैक मेलिंग आदि के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। इसी गैर सरकारी कर्मचारी ने तगड़ी सेटिंग-गेटिंग करके बगैर कागज़ी कार्यवाही पूर्ण कराए नई समितियों का आन-लाइन रजिस्ट्रेशन कराया और बगैर आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण किए मुख्य प्रवर्तक आदि नामित करवा दिये। सर्वाधिक गड़बड़ी इन नई नवेली समितियों में सचिवों की पोस्टिंग में होना बताया जाता हैं, जहां पर चोरी छिपे ढंग से विभिन्न आरोपों में घिरे दूसरी समितियों के कर्मचारियों आदि से मोटी रकम लेकर सचिव के पद पर उनकी पोस्टिंग कराई गई।   
     आन-लाइन रजिस्ट्रेशन से लेकर मुख्य प्रवर्तकों और सचिवों की पोस्टिंग तक उपरोक्त गैर सरकारी कर्मचारी ने विनोद कुमार सिंह उपायुक्त एवं उपनिबंधक प्रयागराज मण्डल से लेकर मोहसिन जमील सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता (फतेहपुर) के नाम पर मोटी वसूली करने आदि आरोप लगाए गए हैं।
   उपरोक्त सन्दर्भ में विभागीय अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं, वहीं प्रशासनिक अधिकारी यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं कि यह मामला गैर सरकारी है...? कुल मिलाकर एक बार फिर सहकारिता विभाग में चोर दरवाज़े से बड़ी गड़बड़ी की पटकथा लिखी जा रही है, जो योगी राज को न सिर्फ़ खुली चुनौती है बल्कि सहकारिता वालों की कुत्सित मानसिकता का द्योतक भी माना जा रहा है। प्रायः भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे रहे सहकारी सिस्टम को फिर से चरने के लिए रणनीति बनाई गई है, जिस पर तेज़ी से अमल जारी है...!
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